scriptओडीओपी के उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय पहचान दिलाएंगे छात्र | International recognition to the products of ODOP by student | Patrika News

ओडीओपी के उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय पहचान दिलाएंगे छात्र

locationलखनऊPublished: Jun 27, 2021 09:03:25 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

एमएसएमई व एकेटीयू आयोजित करेगा मेगा हैकाथन, कामगारों की होगी तरक्‍की, छात्र भी बनेंगे आत्‍मनिर्भर

ओडीओपी के उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय पहचान दिलाएंगे छात्र

ओडीओपी के उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय पहचान दिलाएंगे छात्र

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ. एकेटीयू से सम्‍बद्ध प्रदेश के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्‍थानों में पढ़ने वाले छात्र ओडीओपी से जुड़े हर जिले के उत्‍पाद का एक नई पहचान देंगे। ओडीओपी उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़ कर उनको नई पहचान दी जाए। इसे लेकर छात्र अपना आइडियाज देंगे। ओडीओपी विभाग के साथ मिलकर एकेटीयू एक मेगा हैकाथन का आयोजन करने जा रहा है।

चिकनकारी व जरदोजी को मिलेगी नई पहचान

अभी हाल ही में ओडीओपी विभाग व एकेटीयू की ओर से लखनऊ की चिकनकारी व जरदोजी को कैसे नई पहचान दिलाई जाए। इस पर हैकाथन का आयोजन किया गया था। इसमें लखनऊ समेत प्रदेश के अन्‍य जिलों के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 70 से अधिक छात्रों ने अपने आइडियाज एकेटीयू को भेजे थे। इसमें 5 छात्रों के आइडियाज को फाइनल राउंड में चुना गया था। छात्रों के बेहतर रूझान को देखते हुए अब ओडीओपी प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को लेकर मेगा हैकाथन का आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। उत्‍तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्‍म मध्‍यम एवं लघु उद्योग विभाग व एकेटीयू के बीच ओडीओपी उत्‍पादों को बढ़ावा देने के लिए एक एमओयू हुआ है। जिसके तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

एक जनपद एक उत्पाद कारीगरों को पहचान दिला रहा

एक जनपद–एक उत्पाद उत्‍तर प्रदेश सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य प्रदेश के अलग अलग जनपदों में बनने वाले उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलवाना और कामगारों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करा कर उन्‍हें आत्‍मनिर्भर बनाना है। उत्‍तर प्रदेश में ऐसे उत्‍पाद बनते हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं बनते हैं। इसमें प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, फिरोजाबाद का कांच उत्‍पाद, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य आदि है। इन कलाओं से ही उन जनपदों की पहचान होती है। इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे। सरकार उनको ओडीओपी के तहत फिर से पहचान दिला रही है।

एमएसएमई और एकेटीयू में समझौता

एमएसएमई से समझौते के बाद एकेटीयू पूरे प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को नई पहचान देने के लिए मेगा हैकाथन का आयोजन करेगा। इसमें बीटेक व एमबीए के छात्र-छात्राएं एक जनपद, एक उत्‍पाद योजना से जुड़े उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़कर बेहतर बनाया जाए, जिससे वह उत्‍पाद अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नई पहचान बना सके। इस पर अपने आइडियाज देंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो