लखनऊ

नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही ये महिलाएं, जेल में रहकर सपनों को दे रहीं उड़ान

– महिला कैदी हैं ‘पैड वूमन’, दे रही हैं सपनों को उड़ान- बनाती हैं सैनिटरी पैड, जेल के साथ ही बाहर भी भेजे जाते हैं

लखनऊMar 07, 2021 / 01:36 pm

Karishma Lalwani

नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही ये महिलाएं, जेल में रहकर सपनों को दे रहीं उड़ान

लखनऊ. आठ मार्च यानी कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day)। यह दिन महिलाओं के हौसले और उनकी सफलता की कहानी को बताता है। आज महिलाएं राजनीति, शिक्षा, खेल, स्पोर्ट्स सहित कई क्षेत्रों में नाम कमा रही हैं। वहीं चारदीवारी में कैद कुछ महिलाएं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ नया सीखने के लिए नए-नए प्रयासों को आजमा रही हैं। राजधानी लखनऊ के गोसाईंगंज जेल यानी नारी निकेतन में बंद महिलाओं की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए जेल की चारदीवारी में बंद महिला कैदी सैनिटरी पैड तैयार करती हैं। खास बात यह है कि इस पैड का इस्तेमाल उनके खुद के द्वारा किए जाने के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी भेजा जाता है।
पूरे प्रदेश में भेजा जाता है सैनिटरी नैपकिन

गोसाईगंज जेल में 203 महिला बंदी हैं। इनमें से अधिकतर महिलाएं आजीवन कारवास की सजा काट रही हैं। ये महिला बंदी अपना गुजारा करने के लिए सैनिटरी पैड, कपड़े का थैला व अन्य सामान बनाती हैं। इसे पूरे प्रदेश में बिक्री के लिए भेजा जाता है। ऐसा कर ये महिलाएं खुद की मदद करती हैं। नारी बंदी गृह की अधीक्षिका नयन तारा बनर्जी के अनुसार, यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जेल है जहां महिला बंदी रहती हैं। वर्तमान में कुल 203 महिला बंदी हैं। इनमें से कई के बच्चे भी यहां रहते हैं। जेल में कुल नौ बच्चे रहते हैं।
महिलाओं के हाथों में होगी कमान

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रेलवे में नारी सशक्तिकरण की छवि दिखेगी। महिला दिवस पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस को लोको पायलट कौशल्या देवी, सहायक लोको पायलट आकांक्षा गुप्ता झांसी से ग्वालियर तक लेकर आएंगी। साथ ही ट्रेन के अंदर सारा स्टाफ भी महिलाओं का रहेगा। नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए झांसी मंडल से आरपीएफ महिला सिपाही व अन्य स्टाफ के नाम मांगे गए हैं, जिन्होंने अच्छा कार्य किया है।
महिला कर्मचारी करेंगी संचालन

देश में महिलाओं को सर्वाधिक पूजा जाता है। वर्तमान समय में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, मगर इसके बावजूद उन्हें आज भी कई मामलों में उन्हें पुरुषों से पीछे माना जाता है। इस सोच को बदलने के लिए रेलवे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए रेलवे ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस का संचालन पूरी तरह से महिला कर्मचारियों से कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए महिला लोको पायलट, महिला सहायक लोको पायलट, टीटीई, गार्ड, सहित आरपीएफ का स्टाफ भी महिलाओं का रहेगा। यह स्टाफ झांसी से ग्वालियर तक बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस का संचालन करेंगे।
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