वरिष्ठ भूविज्ञानी, रूचि महरोत्रा अपने जीवन का ये अहम किरदार कुछ यूं बयान करती हैं-
मैं रानी की तरह महसूस कर रही हूं, संपूर्ण पृथ्वी मेरा राज्य है .
तलवार नहीं, परंतु एक हथौड़ा ..
चट्टानों की शिकायतें सुनकर, तनाव उनके भूल
उनमें छिपे अन्नंत धातु खोज रही हूं,
हां, मैं एक रानी की तरह महसूस कर रहा हूं !!!!
अर्पिता पंकज कहती हैं कि जीएसआई में एक भूविज्ञानी के रूप में जीवन कठिन है, लेकिन अनुभवों से भरपूर। एक महिला भूविज्ञानी के रूप में चुनौतीपूर्ण होता है जब आपको एक साथी के बिना अकेले क्षेत्र में बाहर उद्यम करने का आदेश दिया जाता है। अधिकतर उन जगहों पर जाना होता है जहां आवश्यक स्वच्छता व्यवस्था तक नहीं होती या एक पूरी टीम का नेतृत्व करना है जिसमें बाकी पुरुष हों। यही नहीं कई बार रिस्क काफी ज्यादा होता है। अर्पिता अब तक करीब 50 से अधिक इंटरनेशनल पब्लिकेशन में अपनी रिसर्च भेज चुकी हैं। साथ ही उन्होंने केपटाउन में हुए 35 वे इंटरनेशनल जियोलाजिकल कांग्रेस में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। एक वाकया उनकी ज़ुबानी-
वरिष्ठ भूविज्ञानी श्रेया साहू बताती हैं कि यह किस्सा उन दिनों का है जब वह अपनी एक और महिलाकर्मी के साथ झारखंड क्षेत्र में कुछ ख़ास तरह के खनिज पदार्थों की खोज में थी। तभी अचानक उनको ‘बच्चा चोर.. बच्चा चोर.. पकड़ो-पकड़ो.. आगे मत जाने दो!’ की आवाज़ें सुनाई दी। जिज्ञासा के चलते जान उन्होंने चलती गाडी से बाहर ‘बच्चe चोर’ को देखना चाहा, तब उन्हें पता चाला गांव वाले उन्हीं की ओर इशारा कर रहे हैं। श्रेया उस वाक्या को कुछ यूं बयान करती है ‘अचानक ग्रामीणों की भीड़ चारों ओर इकट्ठा हो गयी। उनके हाथों में बांस की लाठियां और हसिया थे। उनकी जीभ की नोक पर गालियां थीं। हमारी गाड़ी में सन्नाटा छा गया। मुझे तो अस्पताल के सपने आने लगे और तभी धमाके से आया जीप पर पहला झटका! मैने और संगीता ने नीचे उतरने का फैसला किया। दो महिलाओं को टोपी और जूतों में लिपटे हुए देखकर एक कुछ पल के लिए गांववालों का पारा शांत हुआ। संगीता ने मुझसे कहा, श्रेया बोल, नहीं तो आज नहीं बचेंगे। वैसे मुझे विश्वास है, बोलने का मौका दिया और आप न बोले, ये वास्तव में एक अपराध है। फिर मैंने खुद को जीप के बोनट पर चढ़ते हुए पाया। मेरे जीवन का वो पहला तो नहीं पर एक अहम भाषण होने वाला था। किसी तरह मैने गांववालों को अपना परिचय दिया और पेशा बताया। तभी भीड़ में एक बुजर्ग औरत बोली ‘अरे खुद्द बच्चे हैं ये तो। ये सुनकर लगभग तुरंत ही मुझमें जान आ गई। हमने उन्हें बताया कि हम गांव से बाहर, छिपे हुए खनिज के लिए नमूने ढूंढ रहे हैं।