फोन लेने के लिए बेटी बनाती बहाने मां-बाप अच्छे ओहदे पर हैं। उनकी इकलौती बेटी निजी स्कूल में नौवीं की छात्रा है। मेडिकल कॉलेज में काउंसलिंग के लिए पहुंचे अभिभावकों ने बताया कि स्कूल जाने से पहले और आने के बाद कभी पढ़ाई तो कभी किसी अन्य बहाने से उनकी बेटी फोन पर लगी रहती है। टोकने पर चिड़चिड़ेपन के साथ उसका व्यवहार आक्रामक हो जाता है।
ये भी पढें : Toll Tax : अप्रैल से महंगा हो जायेगा टोल नाके से गुजरना, जानिए कितना देना होगा टोल टैक्स फोन न दें तो बेटा छोड़ देता खाना इंद्रा नगर के निवासी एक शिक्षक दंपती भी अपने बेटे की मोबाइल की लत से परेशान है। इन्होंने मेडिकल कॉलेज में काउंसलिंग ली है। अभिभावकों के अनुसार उनका बेटा आठवीं में पढ़ता है। मोबाइल उससे छूट नहीं रहा। व्हाट्सएप में चेटिंग, इंस्टाग्राम और गेमिंग के लिए फोन किसी न किसी बहाने ले लेता है। फोन न दो तो खाना छोड़ देता है और चुप्पी साध लेता है।
इंटरनेट एडिक्शन (Internet Addiction) का शिकार हैं बच्चे मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक डॉ गणेश शंकर बताते हैं कि मोबाइल का इस्तेमाल पिछले सात सालों में ज्यादा शुरू हो गया। लेकिन पिछले दो सालों में आईसीडी (इंटरनेशनल क्लासीफिकेशन ऑफ डिसेज) द्वारा इंटरनेट एडिक्शन बीमारी बताई गई है। इसका असर खासकर कोविड के समय में देखन को मिला। जब लोगों के पास करने को कुछ नहीं था। इस दौरान माता-पिता ने ऑनलाइन पढ़ाई और समय बिताने के लिए खुद बच्चों को फोन दे दिया। अचानक फोन से दूर रखने पर बच्चों में डिप्रेशन, अनिद्रा और चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं। माता-पिता अलग-अलग तरीके से कई चरणों में बच्चों से फोन दूर करें।
ये भी पढें : पति ने नहीं खिलाई चाट-पकौड़ी तो पत्नी ने दे दी तलाक की अर्जी अभिभावक बच्चों के सामने मोबाइल इस्तेमाल कम करें : डॉ. आशीष बालरोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष बिश्वास का कहना है कि मोबाइल का कम इस्तेमाल ठीक है, अन्यथा यह लत है। मूड ठीक करने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी ऐसा ही है, जैसे ड्रग्स व्यवहार को प्रभावित करती है। बच्चों का स्क्रीन समय घटाएं और अभिभावक रोल मॉडल हैं, इसलिए वे भी मोबाइल का कम ही इस्तेमाल करें।
अभिभावक यह करें उपाय - अभिभावक फोन उपयोग के लिए बनाए नियम - एक मोबाइल बास्केट बनाए, निर्धारित समय पर जमा कर दें - मोबाइल को बेड के पास रखकर न सोए
- बच्चे को आउटडोर गेम्स, पेंटिंग, डांस, म्यूजिक और अन्य कक्षाओं में भेजें -18 महीने से कम उम्र के बच्चे स्क्रीन का इस्तेमाल न करें -18 से 24 महीने के बच्चे को माता-पिता उच्च गुणवत्ता वाले प्रोग्राम दिखाएं
- 2 से 5 साल के बच्चे एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल न करें - छह साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों के स्क्रीन देखने का समय दो घंटे तक सीमित हो