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एक हजार में लग सकेंगे दांत, ऑपरेशन के बाद तुरंत खा सकेंगे खाना

locationलखनऊPublished: Mar 18, 2019 02:18:06 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

केजीएमयू (KGMU) के इंट्रा ओरल वेल्डिंग (Intra-oral welding) तकनीक से मरीज को इम्प्लांट लगाया जाता है, जिसके बाद मरीज तुरंत खाना खा सकता है

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एक हजार में लग सकेंगे दांत, ऑपरेशन के बाद तुरंत खा सकेंगे खाना

लखनऊ. अब खराब मसूड़ों और टूटे दांत के इलाज में छह महीने का वक्त नहीं लगेगा। केजीएमयू (KGMU) के इंट्रा ओरल वेल्डिंग (Intra-oral welding) तकनीक से मरीज को इम्प्लांट लगाया जाता है, जिसके बाद मरीज तुरंत खाना खा सकता है। खास बात यह है कि संस्थान में अभी तक इस इलाज का कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा रहा है। सिर्फ इम्प्लांट के लिए एक हजार रुपये का शुल्क देना होगा।
इम्प्लांट से इलाज करने की जिम्मेदारी ओरल सर्जरी विभाग के डॉ. लक्ष्य कुमार यादव ने ली है। अभी तक तीन मरीजों पर यह प्रयोग सफल तरीके से किया गया है। डॉ. लक्ष्य कुमार के साथ इस इलाज में उनका साथ दे रहे हैं डॉ. यूएस पाल, डॉ. संजय, डॉ. अजित कुमार और डॉ. मयंक कुमार।
पुरानी तकनीक से बेहतर नई तकनीक

पुरानी तकनीक में दांत रोकने के लिए हड्डी तैयार की जाती थी। इसके लिए आर्टिफिशियल बोन ग्राफ्ट डाला जाता था। इसके सेट होने के बाद दांत लगाए जाते थे, जिसमें छह माह का वक्त लगता था। लेकिन नई तकनीक के जरिये आर्टिफिशल बोन ग्राफ्ट के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। टाइटेनियम के ढांचे को फिट कर इम्प्लांट लगाया जाता है। नए लगे दांतों और पहले के दांतों को जोड़कर एक यूनिट बनाया जाता है। इससे मरीज को यह फायदा मिलता है कि कोई भी चीज चबाते वक्त सभी दांतों पर एक बराबर भार पड़ता है।
जानिये किसे लग सकता है इम्प्लांट

डॉ. लक्ष्य कुमार यादव के मुताबिक ऐसे व्यक्ति जिनके दांत किसी दुर्घटना में खराब हो गए हों या किसी बीमारी की वजह से उखड़ जाते हैं, उनमें इम्प्लांट लगाया जाता है। लेकिन जिन्हें पेसमेकर लगा होता है या जिनके मसूड़े की हड्डी गायब रहती है, ऐसे व्यक्तियों को इम्प्लांट नहीं लगाया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे मशीन से वल्डिंग करते समय स्पार्किंग होने का खतरा रहता है।
विदेश से भी आते हैं मरीज

इंट्रा ओरल वेल्डिंग मशीन से इलाज कराना सस्ता और टिकाऊ है। यही वजह है कि विदेश से भी मरीज केजीएमयू में इस इलाज के लिए संपर्क कर रहे हैं। रियाद के ही एक मरीज को इम्प्लांट लगा कर सफल इलाज किया गया है।
एंड्रॉलजी पढ़ाने वाला एशिया का पहला संस्थान

केजीएमयू एशिया का पहला ऐसा विवि बनेगा जहां एंड्रॉलजी के पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। अब तक सिर्फ यूएस और जर्मनी में ही एंड्रॉलजी की पढ़ाई कराई जाती है। विवि के यूरोलॉजी विभाग की ओर से जनसंख्या नियंत्रण अन्वेषण प्रजनन एवं शिक्षण संस्थान के नाम से संस्थान खोलने का प्रस्ताव भेजा गया है। एंड्रॉलजी में डिप्लोमा, स्नातक और परास्नातक के कोर्स संचालित किए जाएंगे। एंड्रॉलजी विभाग के निर्माण के लिए 127 करोड़ शासन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसमें भवन निर्माण से लेकर नियुक्ति संबंधी व्यय शामिल है।
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