महन्त देव्या गिरि ने कहाकि निवेशक महाकुंभ में प्रदेश के अधिकारी मंत्री मुख्यमंत्री महामहिम राज्यपाल से लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रधानमंत्री और महामहिम राष्ट्रपति तक ने शिरकत करके इस निवेशक महाकुंभ को महत्वपूर्ण बनाकर बुलंदियों पर पहुंचा दिया और लगा कि राज्य और केन्द्र दोनों सरकारें ही नही बल्कि महामहिम राष्ट्रपति तक निवेश और सर्वांगीण विकास के पक्षधर हैं। पर ताजुब्ब यह है क्या किसी को भी गोमती जी की हालात दीखती नही।सरकारी औद्योगिक मुहिम ही चलेगी बस ।
इन्वेस्टर समिट के पहले दिन मुकेश अम्बानी ने इन्वेस्टर समिट के मंच से गंगा सफाई में अपनी सहभागिता देनी की बात कही थी। उन्होंने कहा कि नामामि गंगा प्रोजेक्ट के अंतर्गत उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी दी जाएगी वे उसे निभाएंगे। लेकिन एयरपोर्ट से उतर गोमती पार कर इन्वेस्टर समिट में पहुंचे बड़े निवेशकों ने गोमती नदी की सुध नहीं ली।
राजनैतिक फायदे के बिना क्या कोई भी कार्य नही हो सकता । निवेशकों के महाकुंभ में जो पहल उद्योगपतियों द्वारा की गयी है उससे हर क्षेत्र में आद्यौगिक गतिविधियां बढेंगी और हर जिले को कमोवेश इस महाकुंभ का फायदा मिले न मिले ।प्रदेश और केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने विकास की गंगा बहाने के नाम पर जिस तरह से योजनाओं की घोषणा की है उससे लगता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश बिजली दवा पानी विभिन्न कलपुर्जों वायुयान निर्माण एवं परिचलन जैसे क्षेत्रों में प्रदेश आत्मनिर्भर हुऐ बिना नही रह पायेगा लगता है
आगामी लोकसभा चुनाव के बहाने योगी मोदी मिलकर प्रदेश में आद्यौगिक क्रांति लाकर इसे भी महाराष्ट्र गुजरात की तरह आद्यौगिक प्रदेश बना देगें। प्रदेश को आद्यौगिक हब बनाने से पहले लखनऊ की हॄदय रेखा कही जाने वाली मां गोमती की हालत का जिम्मेदार कौन है ये विचार भी होना चाहिये,नदी नाले की सदृश्य हो गई है।
देव्या गिरि ने बतायाकि पर्यावरण एवं जल संरक्षण का भी तो ध्यान रखना चाहिये। क्योंकि कल कारखाने किसानों ग्रामीणों के सीने पर स्थापित होते हैं और इनमें जल की बरबादी एवं प्रदूषण अधिक होगा ध्यान रखे कि हम विकास के चक्कर में प्राकृतिक वातावरण से वंचित कर देगे। करोडो रूपये सिर्फ सजावट मे पानी की तरह बहा दिये गये? उससे कम पैसे मे मां गोमती साफ हो जाती।।