scriptइन्वेस्टर समिट के मंच से गंगा साफ़ करने का वादा लेकिन भूले गोमती की ज़रूरत | Investor Not Interested in Cleaning Gomati | Patrika News

इन्वेस्टर समिट के मंच से गंगा साफ़ करने का वादा लेकिन भूले गोमती की ज़रूरत

locationलखनऊPublished: Feb 24, 2018 12:17:54 pm

Submitted by:

Dikshant Sharma

निवेशक महाकुंभ को महत्वपूर्ण बनाकर बुलंदियों पर पहुंचा दिया

Mahant Devya Giri

Mahant Devya Giri


लखनऊ मे स्थित मां गोमती की हालत किसी से छिपी नही है कि उद्योग धंधों और विकास के मामले में उत्तम प्रदेश बनने की राह पर चलने जा रहा है। पर गोमती जी पर किसी का ध्यान नही है। राजधानी में पिछले तीन दिनों से चल रहा ऐतिहासिक अभूतपूर्व निवेशकों का सम्मेलन महामहिम राष्ट्रपति महोदय के भाषण के साथ कल समाप्त हो गया है। तीन दिवसीय निवेशक महोत्सव का स्वरूप महाकुंभ मेले जैसा था और इतने निवेशकों की भीड़ उमड़ी कि बैठने की जगह पानी की बोतलें तक कम पड़ गयी।

महन्त देव्या गिरि ने कहाकि निवेशक महाकुंभ में प्रदेश के अधिकारी मंत्री मुख्यमंत्री महामहिम राज्यपाल से लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रधानमंत्री और महामहिम राष्ट्रपति तक ने शिरकत करके इस निवेशक महाकुंभ को महत्वपूर्ण बनाकर बुलंदियों पर पहुंचा दिया और लगा कि राज्य और केन्द्र दोनों सरकारें ही नही बल्कि महामहिम राष्ट्रपति तक निवेश और सर्वांगीण विकास के पक्षधर हैं। पर ताजुब्ब यह है क्या किसी को भी गोमती जी की हालात दीखती नही।सरकारी औद्योगिक मुहिम ही चलेगी बस ।
इन्वेस्टर समिट के पहले दिन मुकेश अम्बानी ने इन्वेस्टर समिट के मंच से गंगा सफाई में अपनी सहभागिता देनी की बात कही थी। उन्होंने कहा कि नामामि गंगा प्रोजेक्ट के अंतर्गत उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी दी जाएगी वे उसे निभाएंगे। लेकिन एयरपोर्ट से उतर गोमती पार कर इन्वेस्टर समिट में पहुंचे बड़े निवेशकों ने गोमती नदी की सुध नहीं ली।

राजनैतिक फायदे के बिना क्या कोई भी कार्य नही हो सकता । निवेशकों के महाकुंभ में जो पहल उद्योगपतियों द्वारा की गयी है उससे हर क्षेत्र में आद्यौगिक गतिविधियां बढेंगी और हर जिले को कमोवेश इस महाकुंभ का फायदा मिले न मिले ।प्रदेश और केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने विकास की गंगा बहाने के नाम पर जिस तरह से योजनाओं की घोषणा की है उससे लगता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश बिजली दवा पानी विभिन्न कलपुर्जों वायुयान निर्माण एवं परिचलन जैसे क्षेत्रों में प्रदेश आत्मनिर्भर हुऐ बिना नही रह पायेगा लगता है
आगामी लोकसभा चुनाव के बहाने योगी मोदी मिलकर प्रदेश में आद्यौगिक क्रांति लाकर इसे भी महाराष्ट्र गुजरात की तरह आद्यौगिक प्रदेश बना देगें। प्रदेश को आद्यौगिक हब बनाने से पहले लखनऊ की हॄदय रेखा कही जाने वाली मां गोमती की हालत का जिम्मेदार कौन है ये विचार भी होना चाहिये,नदी नाले की सदृश्य हो गई है।
देव्या गिरि ने बतायाकि पर्यावरण एवं जल संरक्षण का भी तो ध्यान रखना चाहिये। क्योंकि कल कारखाने किसानों ग्रामीणों के सीने पर स्थापित होते हैं और इनमें जल की बरबादी एवं प्रदूषण अधिक होगा ध्यान रखे कि हम विकास के चक्कर में प्राकृतिक वातावरण से वंचित कर देगे। करोडो रूपये सिर्फ सजावट मे पानी की तरह बहा दिये गये? उससे कम पैसे मे मां गोमती साफ हो जाती।।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो