(IPSEF) जहां पर नए मेडिकल कॉलेजों अस्पतालोंध् संस्थानों में पड़ सृजित कर के नियमित भर्ती की जाए परंतु राज्य सरकारें आउटसोर्सिंग, संविदा पर रखकर अस्पताल चलाए जा रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में अनुभवी डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ न रहने के कारण मरीजों की मौत हो रही है। राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के द्वारा शासनादेश जारी करने के बाद भी उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्य सरकारों द्वारा आदेश जारी नहीं किया गया है जिससे सैकड़ों की तादात में नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन,प्रयोगशाला सहायक,फीजियोथेरेपिस्ट, एक्सरे टेक्नीशियन ,वार्ड बॉय ,सफाई कर्मचारी तथा अन्य टेक्नीशियन की मृत्यु पर मृतक आश्रितों के परिवार को 50 लाख की आर्थिक सहायता नहीं मिली है।
मृतक आश्रित नियुक्ति एवं अन्य देयको का भुगतान नहीं किया गया है। उनके स्वयं के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है और न दवा ऑक्सीजन मिल रही है। स्थानीय निकायों के कर्मचारी भी सुविधा से वंचित हैं। इप्सेफ ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र एवं राज्य सरकारें मृतक आश्रित के परिवार को मई माह के अंत तक भुगतान नहीं करेंगी तो इप्सेफ को आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। जिसमें कामबन्दी भी शामिल है। इसका पूर्ण उत्तरदायित्व केंद्र एवं राज्य सरकारों का होगा।