दरअसल अपने परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमेरिका और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के कड़े प्रतिबंधों के चलते ईरानी मुद्रा में आए अवमूल्यन को रोकने के लिए 2018 में ईरान ने 1450 हस्तशिल्प उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी। इन उत्पादों में मुरादाबाद के ब्रास यानी पीतल, एल्युमीनियम और कांच के हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट भी शामिल हैं। प्रतिबंध झेल रहे ईरान ने अब दो साल की पाबंदी के बाद मुरादाबाद के पीतल के लिए फिर से अपने दरवाजे खोल दिए हैं। हालांकि एल्युमीनियम और कांच व अन्य हस्तशिल्प उत्पादों पर यह प्रतिबंध अभी भी जारी रहेगा।
कारोबार करने पर लगा दी थी रोक
दरअसल अमेरिका और ईरान के बीच टकराव बढ़ने के बाद 2017 में डब्ल्यूटीओ ने डॉलर में ईरान के साथ कारोबार करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद ईरानी आयातक अन्य देशों की मार्फत मुरादाबाद से माल मंगाकर निर्यातकों को थर्ड पार्टी डॉलर पेमेंट देेते रहे। प्रतिबंध के चलते दोनों देशों में सीधा कोई लेनदेन नहीं हो रहा था। निर्यातकों के पास ईरान से सिर्फ रुपये में व्यापार का रास्ता ही बचा था।
फंसे थे 20 कंटेनर
वहीं 2018 में जब प्रतिबंधों से जूझते ईरान की मुद्रा ईरानी रियाल औंधे मुंह गिरी तो उसने भारत के 1450 हस्तशिल्प उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी। जिसकी वजह से मुरादाबाद से ईरान को होने वाला निर्यात भी पूरी तरह बंद हो गया। मुरादाबाद से ईरान भेजे गए तकरीबन 20 कंटेनर तभी से वहां के पोर्ट पर फंसे थे। प्रतिबंध हटने के बाद अब ईरान सरकार ने उन्हें वहां से छोड़ा है। इसके अलावा ईरानी आयातकों को भारत से ब्रास निर्मित हस्तशिल्प उत्पादों के सीमित आयात की भी छूट दी गई है।
बासमती उत्पादक और निर्यातक भी खुश
पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा बासमती चावल में प्रयोग किये जा रहे खतरनाक कीटनाशक की वजह से ठप पड़ा यूपी के बासमती चावल का निर्यात अब एक बार फिर बढ़ेगा। केंद्र सरकार ने इस खतरनाक कीटनाशक को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके चलते अब पंजाब-हरियाणा के किसान उस कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और यूरोपीय बाजार में यूपी के बासमती चावल की डिमांड एक बार फिर बढ़ेगी। देश के कुल उत्पादन का 27 से 28 प्रतिशत यानी लगभग 17.08 लाख टन बासमती चावल अकेले यूपी में होता है।
सरकार ने कीटनाशक पर लगाई पाबंदी
बासमती के धान में कीड़े न लगें इसलिए पंजाब व हरियाणा में किसान ट्राइसाइक्लोजोल व बूपरोफेन्जिम नामक कीटनाशक का बेहिसाब इस्तेमाल करते थे। अब इस कीटनाशक पर केंद्र सरकार ने पूरी तरह से पाबंदी लगाई थी। इससे चावल की गुणवत्ता पर असर पड़ता था। जिसके चलते यूरोपीय देशों के साथ ही अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान व दक्षिण कोरिया ने बासमती चावल किसानों को करोड़ों का नुकसान होने लगा था। ऐसा तब था जब यूपी के किसान इन कीटनाशकों का इस्तेमाल बहुत कम या नहीं के बराबर करते थे।