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कोरोना की रोकथाम के लिए यूपी सरकार का बड़ा फैसला, मरीजों को दी जाएगी आइवरमेक्टिन टैबलेट

locationलखनऊPublished: Aug 07, 2020 10:25:57 am

Submitted by:

Karishma Lalwani

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण (Corona Virus) से बचाव के लिए आइवरमेक्टिन टैबलेट (Ivermectin Tablet) दी जाएगी। यूपी सरकार (UP Government) ने इस दवा के उपयोग के लिए हरी झंडी दे दी है

कोरोना की रोकथाम के लिए यूपी सरकार का बड़ा फैसला, मरीजों को दी जाएगी आइवरमेक्टिन टैबलेट

कोरोना की रोकथाम के लिए यूपी सरकार का बड़ा फैसला, मरीजों को दी जाएगी आइवरमेक्टिन टैबलेट

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण (Corona Virus) से बचाव के लिए आइवरमेक्टिन टैबलेट (Ivermectin Tablet) दी जाएगी। यूपी सरकार (UP Government) ने इस दवा के उपयोग के लिए हरी झंडी दे दी है। यह दवा इन मरीजों को दी जाएगी जो कोरोना वायरस के हल्के लक्षण वाले रोगी होंगे। यह दवा उनके लिए भी है जो स्वास्थ्य कर्मी हैं और जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना उपचार के लिए दिए जाने वाले यह टैबलेट दिए जाने के आदेश सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को दिए। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने सभी सीएमओ को दवा का तत्काल उपयोग करने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों को खिलाई जाएगी टैबलेट

कोरोना के बिना लक्षण वाले व हल्के लक्षण वाले रोगियों को भर्ती होते ही प्रथम तीन दिन तक रात में भोजन के दो घंटे के बाद आइवरमेक्टिन टैबलेट दी जाएगी। यही नहीं इसके साथ डाक्सीसाइक्लीन औषधि दिन में दो बार पांच दिनों तक दी जाएगी। वहीं कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के संपर्क में आए व्यक्तियों को रोग के संभावित संक्रमण से बचाव के लिए व्यक्ति को पहले व सातवें दिन रात्रि के भोजन के दो घंटे के बाद आइवरमेक्टिन टैबलेट खिलाई जाएगी। यह दवा स्वास्थ्य कर्मियों को भी खिलाई जाएगी। स्वास्थ्य कर्मियों को पहले, सातवें व 30 वें दिन और हर महीने में एक बार आइवरमेक्टिन दवा दी जाएगी।
आइवरमेक्टिन की खोज 1970 में

आइवरमेक्टिन की खोज 1970 में हुई थी। इस दवा के कई फायदे हैं। कमोबेश यह दवा रिवर ब्लाइंडनेस, एस्कारिया सिस, फाइले रिया, इंफ्लूएंजा, डेंगू में उपयोग किया जाता है। वहीं, दवा कोरोना वायरस का असर कम करने में भी समर्थ है। आइवरमेक्टिन दवा कोशिका से वायरस को न्यूक्लियस में पहुंचने से रोक देती है। ऐसे में वायरस मरीज के डीएनए से मिलकर मल्टी फिकेशन नहीं कर पाता है। लिहाजा, इस सस्ती दवा के जरिए कई मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

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