लखनऊ

परिवार नियोजन को लेकर हुई राज्यस्तरीय कार्यशाला, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- नवदंपति को जागरूक करेंगे काउंसलर्स

– परिवार नियोजन की सफलता के लिए अन्य विभागों से भी लेंगे मदद
– स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, प्रदेश में नियुक्त किए जाएंगे और परामर्शदाता
– ‘ममता’ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जेनेवा से आए डॉ.चंद्रमौली

लखनऊJan 28, 2020 / 10:28 pm

Abhishek Gupta

Lucknow news

लखनऊ. बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ‘ममता’ की ओर से गंगलवार को आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि परिवार नियोजन की सफलता के लिए सभी विभागों की भागीदारी जरूरी है। नवदंपति को जानकारी देने के लिए और काउंसलर बढ़ाए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि नवदंपति को सिर्फ यह कहकर नहीं समझाया जा सकता कि देश की जनसंख्या बढ़ रही है। उससे ज्यादा यह कहना बेहतर है कि परिवार नियोजन करने से उसकी पत्नी और बच्चा सेहतमंद रहेगा। परिवार में समृद्धि आएगी और परिवार खुशहाल होगा।
यौन शिक्षा पर होनी चाहिेए बात-

जय प्रताप ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लगातार अपने कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि इससे मातृ व बाल मृत्यु दर में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन की सफलता के लिए नवयुवक-युवतियों के बीच यौन शिक्षा पर बात होनी चाहिए लेकिन मैं बतौर मंत्री इसे नहीं कह सकता।
शादी से पहले काउंसिलिंग होनी चाहिए-
महिला कल्याण राज्य मंत्री स्वाती सिंह ने शादी से पहले काउंसिलिंग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज हम सब से मिलकर बना है। लिहाजा काउंसिलिंग लड़का-लड़की दोनों की होनी चाहिए। स्वाती ने आगे कहा कि बदलाव अपने परिवार या आसपास से शुरू करें। तभी देश-प्रदेश में बदलाव दिखेगा।
परिवार नियोजन पर हुआ बेहतरीन काम-

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जेनेवा दफ्तर से आए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चंद्रमौली ने कहा कि ज्यादातर दंपति गर्भ निरोधक तरीकों से वाकिफ नहीं हैं। वे कहते तो हैं कि उन्हें पता है, लेकिन हकीकत में ज्यादातर को पता नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हमें नवदंपति पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक भारत में सिर्फ 13 प्रतिशत महिलाएं ही गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने मिस्र और बंग्लादेश की मिसाल देते हुए कहा कि दोनों देशों में परिवार नियोजन पर बेहतरीन काम हुआ है। भारत में भी अगर सरकार, प्राइवेट प्लेयर को अभियान में जोड़ सके तो ऐसी कामयाबी मिल सकती है। डॉ. निरंजन ने कहा कि भारत में हालांकि प्रजनन दर घटी है, लेकिन अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2005-06 में प्रजनन दर 3.8 थी तो 2015-16 में घटकर 2.7 रह गई है। यह अच्छे संकेत हैं।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ देवेंद्र ने कहा कि हमारा फोकस नवदंपति और नवयुवकों की काउंसिलिंग पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि परंपरागत तरीके का प्रचार नवयुवकों पर काम नहीं करने वाला। उनसे नए तरीकों से बात करनी होगी। कार्यक्रम में एनएचएम के निदेशक डॉ. विजय विश्वास पंत, परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. बद्री विशाल, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश ने भी अपने विचार रखे।
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