सरकार से लेकर संगठन में बदलाव कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद जे पी नड्डा का यह पहला लखनऊ दौरा होगा। इससे पहले वह यूपी के लोकसभा चुनाव प्रभारी बनाए गए थे। नड्डा लखनऊ में पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। उनके दौरा के मुख्य बिंदुओं में 12 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं, जिसके लिए वह प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा करेंगे। आज की बैठक में क्षेत्रीय संगठन, मंत्रियों के क्षेत्रों में बदलाव सहित प्रदेश पदाधिकारियों की भूमिका में भी फेरबदल किया जा सकता है। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारियों से जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की रणनीति तय करेंगे। इसके लिए सदस्यता अभियान व अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। नड्डा अपने लखनऊ प्रवास पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय व सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की कैबिनेट में फेरबदल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर विस्तार से चर्चा होनी है।
कौन होगा अगला प्रदेश अध्यक्ष महेद्र नाथ पांडेय (Mahendra Nath Pandey) के बाद भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इस पर कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन सियासों गलियारों में कई नामों की चर्चा है। भाजपी सूत्रों की मानें, तो कई नाम हैं जो इस पद की रेस में शामिल हैं, लेकिन कौन प्रदेश अध्यक्ष बनेगा अभी यह कहना मुश्किल है। वैसे 2022 का विधानसभा चुनाव को भाजपा ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष का चयन करेगी। इसके लिए ऐसा व्यक्ति जरूरी है जो विवाद से दूर हो व उसके आने से पार्टी में किसी प्रकार की गुटबंदी की शुरुआत न हो।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए इन नामों पर चर्चा – गौतमबुद्धनगर के सांसद डॉ महेश शर्मा (Mahesh Sharma) – डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) – स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh)
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योगी कैबिनेट में भी फेरबदल वहीं दूसरी तरफ जेपी नड्डा के आज के दौरे के बाद बाद योगी सरकार में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। दरअसल, पिछले ढाई साल में योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की कई बार चर्चा हुई, लेकिन अभी तक एक बार भी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ। लेकिन अब इसमें बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक हर मंत्री के काम की पूरी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान के पास है और जिसने अच्छा काम किया है उसे प्रमोट किया जाएगा और जिसने बेहतर काम नहीं किया है उसे बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। जबकि कुछ को सरकार से निकालकर संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है।