तीस हजारी स्थित जिला जज धर्मेश शर्मा की अदालत ने सुप्रीम के आदेश पर जय प्रकाश नारायण अपेक्स ट्रामा सेंटर(एम्स) में अस्थाई कोर्ट बनाने के निर्देश दिए थे। इस विशेष अदालत में बाहरी व्यक्ति या मीडिया को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं रहेगी। अदालत ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस विशेष अदालत में किसी तरह की ऑडियो या वीडियो रिकार्डिंग नहीं होगी। यहां तक की सेमीनार हॉल में लगने वाली इस विशेष अदालत को ध्यान रखते हुए वहां लग हुए सीसीटीवी कैमरों को भी बंद करने की जिम्मेदारी चिकित्सा अधीक्षक को सौंपी गई है। साथ ही किसी भी हाल में पीड़िता आरोपियों के सामने ना आए, ऐसी व्यवस्था की गई है।
अदालत ने ट्रामा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक को कहा है कि जिस समय पीड़िता के बयान दर्ज किए जाएगे, उसके साथ अनुभवी व प्रशिक्षित नर्स अधिकारी मौजूद रहेंगी, जोकि पीड़िता के डॉक्टर के संपर्क में रहेंगी। ताकि बयान दर्ज करने के दौरान उसकी शारीरिक व मानसिक स्थिति पर नजर बनाए रखेगा। इनता ही नहीं अदालत ने चिकित्सा अधीक्षक को कहा है कि जब तक बयान दर्ज होंगे, पीड़िता के वकील को रोजाना सुबह दस बजे हाजिर होकर न्यायिक अधिकारी को उसकी मेडिकल कंडीशन का ब्यौरा देना होगा। अदालत ने तिहाड़ जेल प्रशासन को कहा है कि वह आरोपियों को संबंधित तारीखों पर सुबह दस बजे विशेष इंतजाम के तहत एम्स के ट्रामा सेंटर लेकर आएं। हालांकि कहा गया है कि आरोपियों की वहां मौजूदगी की भनक तक पीड़िता तक नहीं पहुंचनी चाहिए, ऐसी व्यवस्था प्रशासन को करनी होगी।