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Bhairav Ashtami की शाम से आधी रात को करें यह काम , जाने कौन मन्त्र से खुश हो जाएंगे काल भैरव

locationलखनऊPublished: Nov 29, 2018 02:55:49 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

भगवान भैरव के 8 रूप, जानें कौन-सी मनोकामना के लिए करें किसकी पूजा

 Bhairav Shanti Mantra

भैरव अष्टमी की शाम से आधी रात को करें यह काम , जाने कौन मन्त्र से खुश हो जाएंगे काल भैरव

ritesh singh

लखनऊ , चिंता से चतुराई घटे,घटे रूप और ज्ञान। चिंता बड़ी अभागिनी, चिंता चिता समान।
तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोय। अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय ,मदद करना सीखिये
.फायदे के बगैर., मिलना जुलना सीखिये। मतलब के बगैर. जिन्दगी जीना सीखिये। दिखावे के बगैर.
अंधेरा वहां नहीं है, जहां तन गरीब है ! अंधेरा वहां है, जहां मन गरीब है..!
पंडित शक्ति मिश्रा ने बतायाकि कुछ ऐसी ही हालत होती हैं हम इंसान की जोकि भूल जाते हैं सब कुछ बस भागते रहते हैं यहाँ से वहाँ लेकिन मन उसके बाद भी शांत नहीं होता। इसलिए कुछ समय भगवान की आराधना के लिए भी निकाले जिससे मन को शांति और शक्ति मिले। इन सभी के लिए आज का दिन बहुत आसान और ख़ास हैं आज भैरव अष्टमी हैं भगवान् शिव का ही एक रूप जो सर्वशक्तिमान हैं जिनकी आराधना से हम अपने सभी दुःखों , दुश्मनों का नाश कर सकते हैं। पंडित शक्ति मिश्रा ने कहाकि भैरव अष्टमी पर नीचे भगवान् भैरव के रूपों और उनकी शक्ति का उल्लेख हैं। जिसका अनुशरण करने से व्यक्ति के कष्टों अंत शुरू हो जाता हैं।
भैरव अष्टमी

पंडित शक्ति मिश्रा ने बतायाकि आज 29 नवंबर गुरुवार को भैरव अष्टमी पर्व है। यह दिन भगवान भैरव और उनके सभी रूपों के समर्पित होता है। भगवान भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है,इनकी पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है। भगवान भैरव को कई रूपों में पूजा जाता है। भगवान भैरव के मुख्य 8 रूप माने जाते हैं। उन रूपों की पूजा करने से भगवान अपने सभी भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें अलग-अलग फल प्रदान करते हैं।
1 कपाल भैरव, 2 क्रोध भैरव, 3 असितांग भैरव, 4 चंद भैरव, 5 गुरू भैरव, 6 संहार भैरव, 7 उन्मत भैरव, 8 भीषण भैरव यह भगवान् शिव के ही नाम हैं। नीचे इनके कार्यो को बताया गया हैं।
> भगवान भैरव के 8 रूप, जानें कौन-सी मनोकामना के लिए करें किसकी पूजा

1 कपाल भैरव

इस रूप में भगवान का शरीर चमकीला है, उनकी सवारी हाथी है । कपाल भैरव एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में तलवार तीसरे में शस्त्र और चौथे में पात्र पकड़े हैं। भैरव के इन रुप की पूजा अर्चना करने से कानूनी कारवाइयां बंद हो जाती है । अटके हुए कार्य पूरे होते हैं ।
2 क्रोध भैरव

क्रोध भैरव गहरे नीले रंग के शरीर वाले हैं और उनकी तीन आंखें हैं । भगवान के इस रुप का वाहन गरुण हैं और ये दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी माने जाते ह । क्रोध भैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी परेशानियों और बुरे वक्त से लड़ने की क्षमता बढ़ती है ।
3 असितांग भैरव

असितांग भैरव ने गले में सफेद कपालों की माला पहन रखी है और हाथ में भी एक कपाल धारण किए हैं । तीन आंखों वाले असितांग भैरव की सवारी हंस है । भगवान भैरव के इस रुप की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य में कलात्मक क्षमताएं बढ़ती है ।
4 चंद भैरव

इस रुप में भगवान की तीन आंखें हैं और सवारी मोर है ।चंद भैरव एक हाथ में तलवार और दूसरे में पात्र, तीसरे में तीर और चौथे हाथ में धनुष लिए हुए है। चंद भैरव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलता हैं और हर बुरी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता आती है ।
5 गुरू भैरव

गुरु भैरव हाथ में कपाल, कुल्हाडी, और तलवार पकड़े हुए है ।यह भगवान का नग्न रुप है और उनकी सवारी बैल है।गुरु भैरव के शरीर पर सांप लिपटा हुआ है।गुरु भैरव की पूजा करने से अच्छी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
6 संहार भैरव

संहार भैरव नग्न रुप में है, और उनके सिर पर कपाल स्थापित है ।इनकी तीन आंखें हैं और वाहन कुत्ता है । संहार भैरव की आठ भुजाएं हैं और शरीर पर सांप लिपटा हुआ है ।इसकी पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते है ।
7 उन्मत भैरव

उन्मत भैरव शांत स्वभाव का प्रतीक है । इनकी पूजा-अर्चना करने से मनुष्य की सारी नकारात्मकता और बुराइयां खत्म हो जाती है । भैरव के इस रुप का स्वरूप भी शांत और सुखद है । उन्मत भैरव के शरीर का रंग हल्का पीला हैं और उनका वाहन घोड़ा हैं।
8 भीषण भैरव

भीषण भैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी आत्माओं और भूतों से छुटकारा मिलता है । भीषण भैरव अपने एक हाथ में कमल, दूसरे में त्रिशूल, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे में एक पात्र पकड़े हुए है ।भीषण भैरव का वाहन शेर है ।

Kaal Bhairav अष्टमी विशेष

> 🏻 धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को kaal bhairav व अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने Kaal Bhairav का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को Kaal Bhairav जयंती को रूप में मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 29 नवंबर गुरुवार को है।
> भगवान Kaal Bhairav को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार,किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। Kaal Bhairav जयंती पर कुछ आसान उपाय कर आप भगवान कालभैरव को प्रसन्न कर सकते हैं।
> यह हैं Kaal Bhairav को प्रसन्न करने के 13 उपाय, कोई भी 1 करें

1. Kaal Bhairav अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने भगवान Kaal Bhairav की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
मंत्र- ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:’

2. Kaal Bhairav अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, पुए, जलेबी आदि का भोग लगाएं। मन लगाकर पूजा करें। बाद में जलेबी आदि का प्रसाद बांट दें। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।
3.Kaal Bhairav अष्टमी को भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करें और नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का जाप करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें।

> ॐ कालभैरवाय नम:।
> ॐ भयहरणं च भैरव:।
> ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
> ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्
4. Kaal Bhairav अष्टमी की सुबह भगवान कालभैरव की उपासना करें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक लगाकर समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।

5. Kaal Bhairav अष्टमी पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
6. Kaal Bhairav अष्टमी को एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के तीन दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार)। यही तीन दिन भैरवनाथ के माने गए हैं।
7. अगर आप कर्ज से परेशान हैं तो Kaal Bhairav अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बिल्व पत्र अर्पित करें। भगवान शिव के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र- ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नम:
8. Kaal Bhairav अष्टमी के एक दिन पहले उड़द की दाल के पकौड़े सरसों के तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर सुबह 6 से 7 बजे के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकलें और कुत्तों को खिला दें।
9. सवा किलो जलेबी भगवान भैरवनाथ को चढ़ाएं और बाद में गरीबों को प्रसाद के रूप में बांट दें। पांच नींबू भैरवजी को चढ़ाएं। किसी कोढ़ी, भिखारी को काला कंबल दान करें।

10. Kaal Bhairav अष्टमी पर सरसो के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे पकवान तलें और गरीब बस्ती में जाकर बांट दें। घर के पास स्थित किसी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।
11. सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ के मंदिर में Kaal Bhairav अष्टमी पर चढ़ाएं।

12. Kaal Bhairav अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान कालभैरव के मंदिर जाएं और इमरती का भोग लगाएं। बाद में यह इमरती दान कर दें। ऐसा करने से भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं।
13. Kaal Bhairav अष्टमी को समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

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