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विवेक तिवारी हत्याकांड: मर्डर के बाद नया खेल करने में जुटी थी पुलिस, रिटायर्ड दरोगा ने किया सनसनीखेज खुलासा

locationलखनऊPublished: Oct 07, 2018 10:04:59 am

चाचा न होते तो गोली लगने की बात भी छुपा जाती पुलिस, कल्पना तिवारी का बड़ा खुलासा…

Kalpana Tiwari uncle expose UP Police role after Vivek Tiwari murder

विवेक तिवारी हत्याकांड: मर्डर के बाद नया खेल करने में जुटी थी पुलिस, रिटायर्ड दरोगा ने किया सनसनीखेज खुलासा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर में बीते दिनों हुए एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकांड में नए-नए खुलासों से पुलिस घिरती चली जा रही है। हर रोज इस मर्डरमिस्ट्री से जुड़ी कोई न कोई ऐसी बात सामने आ रही है जिससे यूपी पुलिस का रोल संदेह के कटघरे में है। इस हत्याकांड से जुड़ा ऐसा ही एक खुलासा और हुआ है, जिसने यूपी पुलिस की फोल खोल कर रख दी है।
हर कदम पर पुलिस कर रही थी नया खेल

विवेक तिवारी के परिवारवालों के मुताबिक विवेक तिवारी के मर्डर के बाद में पुलिस ने हर कदम पर नया खेल करने की कोशिश की थी। परिजनों की अगर मानें तो पुलिस इस हत्या को हादसे का रूप देना चाहती थी। यहां तक कि आरोपी सिपाहियों प्रशांत चौधरी और संदीप को बचाने के लिए पुलिस ने ही बाइक और विवेक की गाड़ी में तोड़फोड़ की थी। यही नहीं मृतक विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी के मुताबिक इस मामले में पुलिस अपनी मनमर्जी की रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही पंचनामे में शरीर पर गोली के निशान छिपाने की भी कोशिश कर रही थी। इसके लिए उसने अपने ही लोगों को पंच बनाकर दस्तखत करवाने में जुटी थी। लेकिन पुलिस विभाग में ही दरोगी के पद से रिटायर हुए मेरे चाचा गिरीश चंद शुक्ला ने सारा खेल समझने में जरा भी देरी नहीं की और तुरंत इसके खिलाफ एक्शन लिया। जिसके बाद विवेक के रिश्तेदारों को पंच बनाकर कार्रवाई को पूरा किया गया।
रिटायर्ड दरोगा ने पकड़ी होशियारी

दरअसल विवेक की पत्नी कल्पना के चाचा गिरीश चंद शुक्ला यूपी पुलिस में दरोगा थे। गिरीश चंद्र ने बताया कि रात करीब डेढ़ बजे हुई वारदात के बारे मेंपुलिस ने कल्पना या उसके परिवारवालों को सूचना नहीं दी। जब रात के करीब तीन बजे कल्पना ने विवेक के नंबर पर फोन किया तो राम मनोहर लोहिया अस्पताल के किसी कर्मचारी ने फोन रिसीव किया और विवेक के घायल होने की बात बताई। जिसके बाद जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तब भी विवेक की मौत की बात छिपाई गई।
अस्पताल के कर्मचारी से पचा चली मौत की बात

गिरीश चंद्र ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवाकर पुलिस अपना खेल खेलने में लगी थी। गिरीश चंद्र के मुताबिक सुबह करीब साढ़े चार बजे हम लोगों को अस्पताल के कर्मचारियों से विवेक की मौत की जानकारी हुई। इसके बाद भी परिवार के सदस्यों को विवेक के शव के पास नहीं जाने दिया गया। विवेक को लगी गोली का निशान छिपाकर पुलिस ने पंचनामा भरने की तैयारी भी शुरू कर दी और अपरिचितों से साइन करवाने की तैयारी थी। इस बीच शक होने पर मैंने आपत्ति करते हुए और खुद पंचायतनामा तैयार किया। पंचनामे में ठुड्डी में लगी गोली का जिक्र करके खुद और रिश्तेदारों के साइन करवाए थे।
सना से मुलाकात के बाद दी दूसरी तहरीर

गिरीश चंद्र शुक्ला ने बताया कि वारदात के बाद वारदात की चश्मदीद सना खान को वादी बनाकर पुलिस ने अपने मुताबिक तहरीर लिखा और मुकदमा दर्ज कर लिया। इसकी जानकारी के बाद दूसरे दिन कल्पना खुद सना से मिली और पुलिस का खेल समझने के बाद थाने जाकर दूसरी तहरीर दी। दूसरी तहरीर के बाद पुलिस को यह डर परेशान करने लगा कि सना के संपर्क में रहने से परिवार वालों का उस मामले से जुड़े सारे राज पता चल जाएंगे। जिससे बचने के लिए पुलिस ने सना के घर पर पहरा लगा दिया और उसके किसी के भी मिलने पर रोक लगा दी। गिरीश चंद्र शुक्ला ने बताया कि अब 11 अक्टूबर को विवेक तिवारी की तेरहवीं होने के बाद हम लोग सना से मिलेंगे और पूरी वारदात की दोबारा जानकारी लेंगे। जिससे इस मामले की हकीकत तक पहुंचा जा सके।
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