देश के साथ युद्ध की स्थिति में तोप कितनी सफल एक सप्ताह तक चले धनुष की क्रियाविधि के पैरामीटरों का परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के हिसाब से हर दिन 100 गोले दागने का परीक्षण किया गया है। बोफर्स की जगह देश की सीमा की रक्षा और निगरानी के लिए धनुष का इस्तेमाल होना है। इसके लिए जल्द ही कुछ तोपें सेना को भेजी जाएंगी। इन तोपों से हर दिन 100 गोले दागने का परीक्षण किया जाएगा। 100 गोले इस मकसद के साथ दागे जाने हैं कि इससे युद्ध स्थिति में तोपें कितनी सफल रहेंगी, ये पता लग सके।
लखनऊ. परीक्षण के दौरान आखिरी चरण में असफल हुई ‘धनुष’ सुरखियों में आई थी। बैरल फटने के दौरान सुर्खियों में आई धनुष एक बार फिर सेना की कसौटी पर खरी उतरी है। जनवरी के अंतिम सप्ताह में उड़ीसा के बालासोर में धनुष ने 70 राउंड गोले दागे हैं। इस लिहाज से अब प्रतिदिन 100 गोले दागने की योजना बनाई गयी है। हर दिन 100 गोले दागने का परीक्षण होगा।
देश के साथ युद्ध की स्थिति में तोप कितनी सफल एक सप्ताह तक चले धनुष की क्रियाविधि के पैरामीटरों का परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के हिसाब से हर दिन 100 गोले दागने का परीक्षण किया गया है। बोफर्स की जगह देश की सीमा की रक्षा और निगरानी के लिए धनुष का इस्तेमाल होना है। इसके लिए जल्द ही कुछ तोपें सेना को भेजी जाएंगी। इन तोपों से हर दिन 100 गोले दागने का परीक्षण किया जाएगा। 100 गोले इस मकसद के साथ दागे जाने हैं कि इससे युद्ध स्थिति में तोपें कितनी सफल रहेंगी, ये पता लग सके।
यहां बनेंगी 414 तोपें ऑर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर और फील्डगन फैक्ट्री में धनुष तोप सेना में शामिल की जा चुकी है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर को 414 तोपें बनाने का ऑर्डर मिला है, जिसमें से पहले चरण में 114 तोपें सेना को दी जानी हैं। 8 मीटर बैरल की लंबाई है और इसकी मारक क्षमता 46 किलोमीटर है।
ये थी धनुष की नाकामयाबी की असली वजह पिछले साल बैरल फटने की वजह से धनुष तोप नाकामयाब रही। ऐसे में ऐसा माना जा रहा था कि धनुष की अप्रत्यक्ष भूमिका में चीन तो नहीं। चाइनीज उपकरण लगने और बैरल फटने का मामला प्रकाश में आया। इसके बाद पूरे मामले की जांच की गयी। इस जांच में पता लगा था कि तोप में चाइनीज उपकरण का इस्तेमाल किया ही नहीं गया था।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर और फील्डगन फैक्ट्री में धनुष तोप सेना में शामिल की जा चुकी है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर को 414 तोपें बनाने का ऑर्डर मिला है, जिसमें से पहले चरण में 114 तोपें सेना को दी जानी हैं।
पिछले साल बैरल फटने की वजह से धनुष तोप नाकामयाब रही। ऐसे में ऐसा माना जा रहा था कि धनुष की अप्रत्यक्ष भूमिका में चीन तो नहीं। चाइनीज उपकरण लगने और बैरल फटने का मामला प्रकाश में आया। इसके बाद पूरे मामले की जांच की गयी। इस जांच में पता लगा था कि तोप में चाइनीज उपकरण का इस्तेमाल किया ही नहीं गया था।