पूर्व सीओ भी दोषी सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने कानपुर नगर के एक पूर्व सीओ को भी दोषी पाया है। इसके अलावा राजधानी लखनऊ में तैनात एक इंस्पेक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। यह इंस्पेक्टर साल 2017 में भी लखनऊ के कृष्णानगर थाने में तैनात था। उस समय एसटीएफ ने विकास दुबे को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रशासन के भी कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। साल 1990 से 2020 तक विकास दुबे को संरक्षण देने वाले अफसर इसमें चिह्नित किए गए हैं।
पुलिस पर उठे कई सवाल एसआईटी ने मारपीट के एक मामले में भी गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे की जमानत हो जाने पर टिप्पणी की। इसके अलावा सवाल उठाए हैं कि साल 2019 में लाइसेंस सत्यापन का अभियान चलाने के सरकार के निर्देश की अनदेखी आखिर अधिकारियों ने क्यों की। जबकि जांच के मुताबिक विकास दुबे का शस्त्र लाइसेंस साल 2004 में कैंसिल हो गया, लेकिन उस पर जारी असलहे को 16 साल तक जमा नहीं कराया गया। पुलिस ने न तो विकास दुबे गैंग का कोई ब्योरा इकट्ठा किया और न ही गैंग के सदस्यों के शस्त्र लाइसेंस ही कैंसिल किए। चुनावों के दौरान भी विकास दजुबे के गैंग के असलहे जमा नहीं किये गए।