एलडीए के अधिकारियों ने 9 दिन पहले बनी कंपनी को भी प्लॉट आवंटित कर दिए, लेकिन नियम के अनुसार एलडीए के कमर्शियल प्लॉटों की नीलामी में केवल तीन साल पुरानी कंपनियों को ही शामिल करने का प्रावधान है। इसके वाबजूद भी ई नीलामी में महज नौ दिन पहले बनी कंपनियों को कैसे शामिल कर लिया गया? इससे साफ पता चलता है कि एलडीए द्वारा पारिजात, पंचशील, स्मृति, सृष्टि और सहज अपार्टमेंट बनाने में धांधली करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया, बल्कि बचा हआ काम दूसरी कंपनियों से करवा लिया गया।
सरकार की पुरानी योजनाओं में एलडीए ने चहेतों को सबसे पहले 40 वर्गमीटर के प्लॉट आवंटित किए और बाद में उसकी जगह उन्हें गोमतीनगर विस्तार जैसी पॉश कॉलोनियों में 150 वर्गमीटर के प्लॉट दे दिए गए। टीपी नगर, गोमतीनगर और जानकीपुरम समेत कई योजनाओं में सैकड़ों आवंटियों की फाइलें ही गायब हो गई हैं। यहां तक कि रजिस्टर में भी कोई ब्योरा दर्ज नहीं किया गया है और न ही कोई कोई रिकार्ड रखा गया है।
पीएफ घोटाले को लेकर गिरफ्तारी के निर्देश
एलडीए घोटाले के सामने आने से पहले भी योगी सरकार के ऊर्जा विभाग में कर्मचारियों के पीएफ में घोटाले की बात सामने आ चुकी है। यूपी पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं। कर्मचारियों और विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया तो सरकार ने शनिवार को कई कार्रवाइयां कीं। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे। जिसके बाद पूर्व सचिव पीके गुप्ता के बेटे अभिनव को भी ईओडब्ल्यू ने अपनी हिरासत में ले लिया था। इनकी डीएचएफएल में निवेश कराने में ब्रोकर की भूमिका निभाने की बात सामने आई है।
होमगोर्डों ड्यूटी में भी फर्जीवाड़ा
यूपीपीसीएल घोटाले के बाद यूपी में होमगार्डों की फर्जी ड्यूटी दिखाकर उनका वेतन हड़पने का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस फर्जीवाड़े से सरकार भी काफी सख्त हो गई है। होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान का कहना है कि पूरे प्रदेश में होमगार्ड के वेतन का ऑडिट करवाया जाएगा और फर्जीवाड़े की जांच डीआईजी होमगार्ड करेंगे, हालांकि यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह जांच होने के बाद प्रदेश में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ सकता है।