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लखनऊ

केजीएमयू की बड़ी पहल, डाक्टरों ने बनाया बड़ा प्लान, ऐसे करेंगे प्रदूषण पर नियंत्रण

डाक्टर बुधवार को साइकिल से आएंगे दफ्तर, लखनऊ में बढ़ते वाहन हैं प्रदूषण का मुख्य कारण।
 

लखनऊSep 19, 2018 / 07:42 pm

Ashish Pandey

kgmu

केजीएमयू की बड़ी पहल, ऐसे करेगा प्रदूषण पर नियंत्रण

लखनऊ. राजधानी लखनऊ आज प्रदूषित शहरों में सुमार है। बढ़ते वाहन प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही साथ ही इससे हवा भी जहरीली होती जा रही है। पिछले साल दिसंबर जनवरी में कई दिनों तक वातावरण में धुंध छाया रहा। इससे लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। वहीं कई लोग फेंफड़े और सांस की बीमारियों से ग्रसित हो गए। आज बढ़ता प्रदूषण आधी बीमारियों का कारण है। इसलिए राजधानी लखनऊ की सड़कों पर प्रदूषण को कम करने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स ने अनोखी पहल की शुरुआत की है। अब हर बुधवार को केजीएमयू के डॉक्टर्स नो कार बुधवार मनाएंगे। इसके तहत कैंपस में हर डॉक्टर व कर्मचारी पैदल चलेंगे। अगर किसी भी तरह के वाहन से जाना ही हो, तो साइकिल का उपयोग किया जाएगा।
स्वच्छ एवं उत्तम वातावरण का होना जरूरी है
राज्य सरकार, केन्द्र सरकार तथा विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विभिन्न परियोजनाओं और प्रयासों के द्वारा प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय मरीजों के चिकित्सा एवं छात्र-छात्राओं के शिक्षण एवं प्रशिक्षण का संस्थान है। इस लिहाज से इस संस्थान में स्वच्छ एवं उत्तम वातावरण का होना जरूरी है।
वाहनों का आवागमन न्यूनतम रहेगा

केजीएमयू के डॉक्टर गणेश ने बताया कि इस संस्थान में प्रदूषण को नियंत्रित करना व उसे साफ और स्वच्छ बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। इसी प्रयास में एक कदम आगे बढ़कर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स व कर्मचारी हर बुधवार को नो कार डे मनाएंगे ताकि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कुछ हद तक कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से सप्ताह में कम से कम एक दिन चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर में वाहनों का आवागमन न्यूनतम रहेगा और वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित किये जाने की कोशिश भी सफल रहेगी।
राजधानी में चौदह लाख वाहन
परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1990 में लखनऊ में एक लाख 70 हजार वाहनों की संख्या थी और छह वर्ष के भीतर यह संख्या 3 लाख से ज्यादा पहुंच गई। इसमें से दो पहिया वाहनों की संख्या 54 हजार थी, जो कि अब दो लाख 10 हजार तक हो गई है। वर्तमान में राजधानी लखनऊ में वाहनों की संख्या १४ लाख से अधिक है। बढ़ते बाहनों के कारण जहां जाम की समस्या तो रहती ही है साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है।
लगातार वाहनों के बढ़ते प्रदूषण से राजधानी लखनऊ की आबोहवा जहरीली होती जा रही है। यह मुसीबत बीमारी का रूप ले रही है। प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी होती है। प्रदूषित हवा से फेफड़े व हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
लखनऊ 18वें स्थान पर

भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के मामले में लखनऊ दसवें स्थान पर था। वहीं 2015 में लखनऊ इस मामले में नौवें स्थान पर था। सीपीसीबी ने अपने बुलेटिन में राजधानी का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 174 बताया है। ग्रीनपीस इंडिया के वार्षिक रिपोर्ट ‘एयरपोक्लिपस में लखनऊ प्रदूषण के मामले में 18वें स्थान पर है। देश के 280 शहरों में हुई मानीटरिंग के अधार पर उत्तर प्रदेश सबसे प्रदूषित राज्य है। 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 शहर प्रदेश के हैं। वाराणसी छठे, गाजियाबाद सातवें व कानपुर 17वें स्थान पर है। शीर्ष 30 शहरों में हापुड़, बरेली, फिरोजाबाद, आगरा, नोएडा, इलाहाबाद, मथुरा आदि प्रमुख शहर भी हैं।
मेट्रो अभी तैयार नहीं
राजधानी में बढ़ते वाहनों पर लगाम लगाने और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए लखनऊ मेट्रो काफी हद तक कारगर साबित हो सकती है, लेकिन मेट्रो का कार्य अभी काफी अधूरा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों एलएमआरसी के एक साल पूरे होने पर कहा था कि मेट्रो को चारबाग से मुंशीपुलिया इंदिरानगर तक जनवरी २०१९ तक चलाएं। अभी तक इसे अप्रैल 2019 में चलाने की बात कही गई थी। अभी राजधानी में मेट्रो का कार्य तेजी से चल रहा है। मेट्रो के कारण ट्रैफिक भी प्रभावित हो रहा है। जिस रूट पर मेट्रो के कार्य हो रहे हैं। वहां भारी जाम भी अक्सर लगते हैं। निशातगंज, बादशाहनगर, आईटी चौराहा, लखनऊ यूनिवर्सिटी, हजरतगंज, हुसैनगंज, मुंशीपुलिया, पालिटेक्निक, एचएएल इन जगहों पर मेट्रो का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन यहां मेट्रो के कार्य के चलते सुबह आफिस के टाइम और शाम को भारी जाम लगता है, जिससे लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ता है।

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