राज्य सरकार, केन्द्र सरकार तथा विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विभिन्न परियोजनाओं और प्रयासों के द्वारा प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय मरीजों के चिकित्सा एवं छात्र-छात्राओं के शिक्षण एवं प्रशिक्षण का संस्थान है। इस लिहाज से इस संस्थान में स्वच्छ एवं उत्तम वातावरण का होना जरूरी है।
परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1990 में लखनऊ में एक लाख 70 हजार वाहनों की संख्या थी और छह वर्ष के भीतर यह संख्या 3 लाख से ज्यादा पहुंच गई। इसमें से दो पहिया वाहनों की संख्या 54 हजार थी, जो कि अब दो लाख 10 हजार तक हो गई है। वर्तमान में राजधानी लखनऊ में वाहनों की संख्या १४ लाख से अधिक है। बढ़ते बाहनों के कारण जहां जाम की समस्या तो रहती ही है साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है।
लगातार वाहनों के बढ़ते प्रदूषण से राजधानी लखनऊ की आबोहवा जहरीली होती जा रही है। यह मुसीबत बीमारी का रूप ले रही है। प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी होती है। प्रदूषित हवा से फेफड़े व हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
राजधानी में बढ़ते वाहनों पर लगाम लगाने और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए लखनऊ मेट्रो काफी हद तक कारगर साबित हो सकती है, लेकिन मेट्रो का कार्य अभी काफी अधूरा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों एलएमआरसी के एक साल पूरे होने पर कहा था कि मेट्रो को चारबाग से मुंशीपुलिया इंदिरानगर तक जनवरी २०१९ तक चलाएं। अभी तक इसे अप्रैल 2019 में चलाने की बात कही गई थी। अभी राजधानी में मेट्रो का कार्य तेजी से चल रहा है। मेट्रो के कारण ट्रैफिक भी प्रभावित हो रहा है। जिस रूट पर मेट्रो के कार्य हो रहे हैं। वहां भारी जाम भी अक्सर लगते हैं। निशातगंज, बादशाहनगर, आईटी चौराहा, लखनऊ यूनिवर्सिटी, हजरतगंज, हुसैनगंज, मुंशीपुलिया, पालिटेक्निक, एचएएल इन जगहों पर मेट्रो का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन यहां मेट्रो के कार्य के चलते सुबह आफिस के टाइम और शाम को भारी जाम लगता है, जिससे लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ता है।