लखनऊ

16 दिसम्बर से शुरु हो रहा खरमास, नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य, ये हैं शुभ मुहुर्त

इस साल 16 दिसम्बर को सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर देवगुरु बृहस्पति की धनु राशि में प्रवेश करेगा।

लखनऊDec 12, 2019 / 11:03 am

आकांक्षा सिंह

16 दिसम्बर से शुरु हो रहा खरमास, नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य, ये हैं शुभ मुहुर्त

लखनऊ. इस साल 16 दिसम्बर को सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर देवगुरु बृहस्पति की धनु राशि में प्रवेश करेगा। जिससे एक महीने के लिये मलमास जिसे लोग खरमास (Kharmas 2019) भी कहते हैं लग जाएगा। खरमास में विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। इस बार खरमास या मलमास (Malmas) 16 दिसंबर को शुरू हो रहा है, जो कि मकर संक्रांति यानी 14/15 जनवरी 2020 पर खत्म होगा।

लखनऊ के इंदिरा नगर के रहने वाले ज्योतिषी आचार्य अशोक तिवारी के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2020 से मांगलिक कार्य की शुरुआत हो सकेगी। विवाह मुहूर्त (Vivah Muhurt) में गुरु शुक्र अस्त का भी विचार किया जाता है। अच्छा शुक्र भोग विलास का नैसर्गिक कारक है और दांपत्य सुख दर्शाता है। गुरु कन्या के लिए पति सुख का कारक है। दोनों ग्रहों का शुभ विवाह (Shubh Vivah) हेतु उदय शास्त्र सम्मत है। 16 दिसंबर से गुरु भी अस्त हो जाएगा और 9 जनवरी को गुरु उदय होगा। ज्योतिष के अनुसार 14 मार्च से 13 अप्रैल 2020 तक सूर्य मीन राशि में रहेगा। इस समय भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। नए वर्ष में 79 से अधिक विवाह मुहूर्त मिलेंगे।

कब लग रहा खरमास

खरमास प्रारंभ – 16 दिसम्बर 2019 सोमवार रात्रि 12:37 बजे
खरमास समाप्त – 15 जनवरी 2020 बुधवार प्रात: 08:24 बजे

15 जनवरी से शादियों का मुहूर्त शुभ होगा

जनवरी 2020 – 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 29, 30, 31
फरवरी 2020 – 3, 4, 5, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 16, 17, 18, 19, 20, 25, 26, 27
मार्च 2020 – 1,2,3,7,8, 9, 11, 12, 13
अप्रैल 2020 – 14, 15, 25, 26, 27
मई 2020 – 1, 2, 3, 4, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 17, 18, 19, 23, 24, 25
जून 2020 – 13, 14, 15, 25, 26, 27, 28, 29, 30
नवंबर 2020 – 26, 29, 30
दिसंबर 2020 – 1, 2, 6, 7, 8, 9, 10, 11

खरमास या मलमास में भूलकर भी न करें ये काम (Kharmas malmas me kya karein kya na karein)

हिन्दू पंचांग के मुताबिक, मलमास (खरमास) में कोई मांगलिक कार्य जैसे- शादी, सगाई, वधु प्रवेश, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ आदि नहीं किये जाते। क्यूंकि इस दौरान सूर्य गुरु की राशि में रहता है, इसके कारण गुरु का प्रभाव कम हो जाता है और मांगलिक कार्यों के सिद्ध होने के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत जरुरी है। क्‍योंकि बृहस्पति जीवन के वैवाहिक सुख और संतान देने वाला होता है।

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