– एंटी रैगिंग कानून के तहत तीन साल की सजा का प्रवाधान
– दोषी पर आर्थिक दंड भी प्रावधान
छात्रों को परेशान करने पर हो सकती है तीन साल की सजा, जानिये रैगिंग के लेकर क्या कहता है कानून
लखनऊ. उच्च शैक्षिक संस्थानों में अक्सर रैगिंग की घटनाएं होती हैं। फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स सीनियर्स द्वारा बुली किए जाते हैं। रैगिंग एक तरह से कॉलेज में अपने जूनियर्स का मजाक उड़ाना होता है। हाल ही में इटावा के सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में रैगिंग का मामला सामने आया, जहां एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्रों ने सिर मुंडवाया। यही नहीं बल्कि ये छात्र कॉलेज कैंपस में सिर झुकाकर चलते हैं। हालांकि, छात्रों ने रैगिंग की घटना से इंकार किया है लेकिन मामले ने प्रशासन से लेकर पुलिस स्तर तक तूल पकड़ ली है। रैगिंग की बढ़ रही घटनाओं को रोकने के लिए राज्य विधि आयोग की सिफारिश पर सरकार ने एंटी रैगिंग का कानून तैयार किया। इन्हें जानकर और फॉलो कर स्टूडेंट्स रैगिंग के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।
एंटी रैगिंग कानून के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा मिल सकती है। दोषी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, रैगिंग के मामले में कार्रवाई न करने या मामले की अनदेखी करने पर कॉलेज के खिलाफ भी कार्रवाई होगी और आर्थिक दंड भी लगाए जाने का प्रावधान है।
यह व्यवहार भी रैगिंगरैगिंग के दोषियों के लिए दंडबने ये नियम भी एंटी रैगिंग कानून के तहत एडमिशन के समय ही सभी यूनिवर्सिटी, कॉलेजों को एंटी हेल्पलाइन नंबर देना होगा। यूजीसी ने भी हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। रैगिंग की शिकायत पर 24 घंटे के अंदर प्रशासन को पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवानी होगी।