नए संसद पुराने संसद से कई मामलों में अलग है या यूं कहें तो पुरी तरह से अलग है। हर एक चीज नए तरीके से बनाई गई है। सिर्फ एक चीज नहीं बदली वह है लोकसभा और राज्यसभा में बिछाई गई ग्रीन और रेड कार्पेट्स। सरकार ने सब नए तरीके से बनवाया लेकिन कार्पेट का कलर वही। और इसी बात को लेकर अब चर्चाएं तेज हो गई है कि आखिर सब कुछ बदलने के बाद भी कार्पेट का कलर क्यों नहीं बदल पाई सरकार? आज हम बताएंगे कि आखिर वो क्या वजह है जो सरकार ने भवन के आकार से लेकर आंतरिक वस्तुओं को बदलने के बाद भी इस कालीन को नहीं बदल पाई।
संसद भवन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, जहां पर आम आदमियों की आवाज को हमारे प्रतिनिधि बुलंद करते हैं। बता दें कि संसद भवन में दो सदन होते हैं, पहला लोकसभा और दूसरा राज्यसभा। आपने कई बार संसद भवन के बारे में पढ़ा सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि लोकसभा में नीचे फर्श पर बिछाए गए कारपेट का रंग हरा क्यों होता है?
दरअसल, हरे रंग का कारपेट बिछाने से तात्पर्य यह होता है कि इस सदन में जो भी प्रतिनिधि आ रहे हैं वह जमीन से जुड़ा हुआ है। हम यह जानते हैं कि लोकसभा के प्रतिनिधि सीधे जनता से चुनकर आते हैं, इसलिए लोकसभा में हरे रंग का कारपेट बिछाया जाता है। हरे रंग को एक और बात से जोड़ कर देखा जाता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसे एक सिंबल के तौर पर हरे रंग का कालीन से दर्शाने का काम किया जाता है।
वही अगर राज्यसभा सदन की बात करें तो उसमें लाल रंग का कार्पेट बिछा होता है। बता दें कि इस सदन में अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। राज्यसभा में लाल रंग के कारपेट बिछाने के पीछे दो कारण बताए जाते हैं, पहला कि लाल रंग राजसी गौरव का प्रतीक है और दूसरा लाल रंग को स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों के बलिदान का प्रतीक माना जाता है। सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए नए संसद में सिर्फ कारपेट का रंग छोड़ कर सारी चीजें नई तरीके से बनाई गई है।