लखनऊ

सपा का दलित प्रेम एक धोखा: लालजी प्रसाद निर्मल

रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि सपा ने जिस तरह से दलित महापुरुषों के नाम से बने जिलों के नाम बदलने का काम किया है वह दलित वर्ग के खिलाफ एक साजिश है। सपा का दलित प्रेम एक धोखा है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने तीन नए जिले बनाए थे और इनके समेत आठ जिलों के नाम बदलने का निर्णय लिया था।

लखनऊDec 06, 2021 / 07:30 pm

Ritesh Singh

सपा का दलित प्रेम एक धोखा: लालजी प्रसाद निर्मल

लखनऊ ,समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को उनकी जमीनें छीनीं और मायावती द्वारा दलित महापुरुषों और गुरुओं के नाम पर स्थापित किए गए जिलों का नाम बदलने जैसे काम किए गए। सपा के इन कृत्यों से उनका दलित हितैषी होने का दावा दलित वर्ग के गले नहीं उतर रहा है। डा. भीमराव अम्बेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने इन आरोपों के जरिए समाजवादी पार्टी पर बड़ा हमला बोला। वह बाबा साहब के 66वें महानिर्वाण दिवस के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
प्रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि सपा ने जिस तरह से दलित महापुरुषों के नाम से बने जिलों के नाम बदलने का काम किया है वह दलित वर्ग के खिलाफ एक साजिश है। सपा का दलित प्रेम एक धोखा है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने तीन नए जिले बनाए थे और इनके समेत आठ जिलों के नाम बदलने का निर्णय लिया था। इनमें प्रबुद्धनगर, पंचशीलनगर व भीमनगर नए थे और रमाबाईनगर, महामायानगर, कांशीरामनगर व छत्रपति शाहूजी महाराज नगर शामिल हैं। लेकिन अखिलेश यादव की सपा सरकार ने इनके नाम बदल दिए।
यही नहीं लखनऊ का किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय को भी सपा शासन में अखिलेश यादव ने बदलकर पुन: पुराने नाम को बहाल कर दिया। उन्होंने सपा सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दलित वर्ग सम्मान महसूस कर सके इसके लिए किसी भी प्रख्यात संस्थान को किसी दलित विभूति या चिंतक के नाम पर ही कर देते।
लेकिन समाजवादी पार्टी हमेशा दलित वर्ग को उपेक्षा की दृष्टि से देखती है। इसका उदाहरण तब मिला जब बसपा-सपा का गठबंधन हुआ और चुनाव में दलित प्रत्याशियों को सपा वोटरों ने साथ नहीं दिया। दलित पर्यवेक्षकों के अनुसार यह सपा के परंपरागत समर्थकों के दलित विरोध की एक बानगी भर थी। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि सपा के शासनकाल में वरिष्ठ नेता कांशीराम की जयंती पर छुट्टी रद्द की गई थी और मायावती की मूर्ति सहित 24 अन्य विभूतियों की मूर्तियां भी तोड़ी गई थीं।

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