विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए गए प्रस्ताव के मुताबिक विकास प्राधिकरण तब तक पेनाल्टी वसूलते रहेंगे जब तक आवासीय उपयोग वाले मकान का भू-उपयोग व्यवसायिक में परिवर्तित नहीं हो जाता। पेनाल्टी के तौर पर जुटने वाली धनराशि से प्राधिकरणों को संबंधित क्षेत्र में जन सुविधाएं विकसित करनी होंगी। इस तरह प्राधिकरण की आय भी बढ़ेगी और अवैध निर्माण में कमी भी आएगी।
आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहरों में मुख्य सड़कों पर स्थित भवनों में जिस कदर दुकानें या अन्य व्यवसायिक गतिविधियां चल रह रही हैं उन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना व्यवहारिक दृष्टिकोण से बिल्कुल संभव नहीं है। भू-उपयोग के विपरीत इस तरह की गतिविधियों से विकास प्राधिकरणों को तो कुछ हासिल नहीं हो रहा है लेकिन खासतौर से प्रवर्तन कार्य से जुड़े इंजीनियर आदि मकान-दुकान को ध्वस्त करने का डर दिखाकर अवैध वसूली जरूर कर रहे हैं। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद यह अवैध वसूली बंद हो जाएगी।