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लेखपालों की हड़ताल से अटके काम, ग्रामीण छात्र परेशान

locationलखनऊPublished: Jul 13, 2018 05:22:50 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

लेखपालों की हड़ताल जारी प्रदेश में अब तक 900 लेखपाल निलंबित,

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लेखपालों की हड़ताल से अटके काम, ग्रामीण छात्र परेशान

लखनऊ. एक तरफ सरकार की दंडात्मक कार्रवाई के बावजूद लेखपालों की हड़ताल जारी है तो वहीं दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग भी चल रही है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से हजारों की संख्या में छात्र लखनऊ पढ़ने आते हैं। इन छात्रों को काफी दिक्कत हो रही है। किसी को जाति प्रमाण पत्र बनवाना था तो किसी को आय प्रमाण पत्र, लेकिन कोई भी काम नहीं हो पा रहा है।
छात्र हो रहे परेशान

बीए में एडमिशन लेने आए छात्र अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि वे आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पिछले दो दिन से भटक रहे हैं लेकिन उनका आय प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। उनके कई साथी हैं जो आय व जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक रहे हैं। वे चाहते हैं कि ये हड़ताल जल्दी खत्म हो वरना दाखिला लेने की अंतिम तिथि भी खत्म हो जाएगी।बता दें कि ग्रेड पे बढ़ाये जाने समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश भर के लेखपाल तीन जुलाई से हड़ताल पर हैं। सरकार ने लेखपालों की हड़ताल को एस्मा के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। उधर, हड़ताली लेखपालों से मुख्य सचिव की चार जुलाई को हुई वार्ता विफल हो गई थी। इसके बाद से ही लेखपालों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्यवाही जारी है।
सत्यापन का काम ठप

जुलाई के महीने में अधिकतर शिक्षण संस्थानों में दाखिले होते हैं। ऐसे में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों को आय, जाति और निवास
प्रमाणपत्रों की जरूरत होती है। छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की खातिर आवेदन करने के लिए भी इन प्रमाणपत्रों की आवश्यकता होती है। बीती 25 जून से नौ जुलाई तक ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर आय, जाति और निवास प्रमाणपत्रों के लिए 12 लाख से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। लेखपालों की हड़ताल के कारण इन प्रमाणपत्रों के लिए सत्यापन का काम ठप हो गया है।
शासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आय, जाति और निवास प्रमाणपत्रों केसत्यापन का काम ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिकारियों कोसौंपा था।लेकिन, इन अधिकारियों के संगठन ने शासन को पत्र भेजकर लेखपालों की जिम्मेदारी उठाने से हाथ खड़ा कर दिया है। यह कहते हुए कि ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिकारियों पर पहले से ही काम का अत्यधिक बोझ
है।
प्रशासन के काम भी हो रहे ठप

लेखपालों के आवेदन के कारण राजस्व प्रशासन के काम भी प्रभावित हो रहे हैं। नये फसली वर्ष में खतौनियों के पुनरीक्षण और खातेदारों व सहखातेदारों के अंश निर्धारण की कार्यवाही पर भी असर पड़ा है। वरासत के मामले दर्ज करने का काम भी प्रभावित हुआ है। एंटी भू-माफिया अभियान के संचालन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है।उधर उप्र लेखपाल संघ के पदाधिकारियोंने अपनी हड़ताल के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।उनका कहना है कि मुख्य सचिव के साथ चार जुलाई को हुई बैठक के बाद संघ ने कहा था कि प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद हम सरकार को अपने निर्णय से अवगत कराएंगे।
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