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काशीवासियों को शीघ्र मिलेगा तोहफा, वाराणसी-दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन के लिए लीडार सर्वे शुरू, जानें इसकी खासियत

locationलखनऊPublished: Dec 13, 2020 03:00:03 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– अयोध्या को भी रूट से जोड़ने की योजना- प्रयागराज, अयोध्या और काशी धर्म स्थल को लेकर चल रहा काम

काशीवासियों को शीघ्र मिलेगा तोहफा, वाराणसी-दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन के लिए लीडार सर्वे शुरू, जानें इसकी खासियत

काशीवासियों को शीघ्र मिलेगा तोहफा, वाराणसी-दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन के लिए लीडार सर्वे शुरू, जानें इसकी खासियत

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. मोदी सरकार की दिल्ली और वाराणसी के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए दिल्ली और वाराणसी के बीच हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनने के लिए रविवार को हवाई सर्वेक्षण शुरू हुआ है। इस कॉरिडोर से यूपी के चार धार्मिक शहरों को भी जोड़े जाने की योजना है। कान्हा की नगरी मथुरा, भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या, तीर्थ प्रयागराज और धर्म नगरी काशी को इस कॉरिडोर में शामिल करने की योजना है। हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का सर्वेक्षण लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वे (LiDAR) तकनीक के जरिये किया जा रहा है। इस आधुनिक लीडार तकनीक से महीनों में पूरा होने वाला सर्वे कुछ ही दिनों में पूरा हो जाएगा। सर्वे की शुरुआत के बाद अमूमन 10 से 12 सप्‍ताह में सर्वे पूरा कर इसका डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भी सबमिट कर दिया जाएगा। इसके बाद जमीन चिन्हित कर रेल दौड़ाने की प्रक्रिया अमली जामा पहनाया जाएगा। इससे पहले लीडार तकनीक से पहले मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर का सर्वेक्षण किया जा चुका है।
लीडार तकनीक की खासियतें

लीडार एक एडवांस तकनीक है जिसमें हेलीकॉप्टर के ऊपर लेजर से लैस उपकरण होते हैं। इस तकनीक के जरिये जमीन पर मौजूद हर एक चीज का डिटेल में विवरण मिलता है। जमीन पर रास्ता कैसा है, कहां गड्ढे हैं, कहां ऊंचाई है या फिर कहां नदी और नाले हैं, इन सब की सटीक जानकारी लीडार तकनीक से मिलती है। तकनीक की मदद से कॉरिडोर की लंबाई, चौड़ाई, अलाइनमेंट, स्टेशन, डिपो, जमीन की जरूरत का बिल्कुल सही खाका तैयार होता है। इससे प्रोजेक्ट डिजाइन तैयार करने में आसानी होती है।
अयोध्या को भी रूट से जोड़ने की योजना

दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर 865 किमी लंबा है। इस बुलेट ट्रेन के रास्ते में मथुरा-आगरा-इटावा-लखनऊ-रायबरेली-प्रयागराज-भदोही जैसे शहर पड़ेंगे। इस बुलेट ट्रेन से जितना फायदा इस रूट से सीधे जाने वाले यात्रियों को होगा उतना ही फायदा रामनगरी में दर्शन करने वालों को भी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली और वाराणसी रेल कॉरिडोर में उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़ा जाएगा। दिल्ली से वाराणसी के बीच अयोध्या में स्टॉपेज बनाने की योजना तैयार की गई है। आमतौर पर दिल्ली से अयोध्या ट्रेन से जाने में 10 घंटे लगते हैं। नोएडा के जेवर एयरपोर्ट से होते हुए बुलेट ट्रेन अयोध्या नगरी को भी जोड़ेगी।
साधु संतों ने पीएम मोदी का किया धन्यवाद

बुलेट ट्रेन के शुरू होने से दिल्ली से वाराणसी और अयोध्या के बीच की दूरी चंद घंटों की हो जाएगी। बुलेट ट्रेन सेवा से अयोध्या को जोड़ने का सबसे बड़ा फायदा साधु संतों को मिलेगा। इससे वे कम समय में लंबी दूरी का सफर तय कर धार्मिक स्थल पहुंच सकेंगे। इस सेवा के लिए अयोध्या के संतों ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा है। मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि यह बहुत ही सराहनीय पहल है। दिल्ली से कोई भी ऐसी ट्रेन नहीं थी जो कम समय में श्रद्धालुओं को तीर्थ स्थलों पर दर्शन पूजन कराए। बुलेट ट्रेन से यात्रियों का आवागमन अयोध्या में बढ़ेगा और अयोध्या में रोजगार को भी प्रगति मिलेगी।

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