लीडार तकनीक की खासियतें लीडार एक एडवांस तकनीक है जिसमें हेलीकॉप्टर के ऊपर लेजर से लैस उपकरण होते हैं। इस तकनीक के जरिये जमीन पर मौजूद हर एक चीज का डिटेल में विवरण मिलता है। जमीन पर रास्ता कैसा है, कहां गड्ढे हैं, कहां ऊंचाई है या फिर कहां नदी और नाले हैं, इन सब की सटीक जानकारी लीडार तकनीक से मिलती है। तकनीक की मदद से कॉरिडोर की लंबाई, चौड़ाई, अलाइनमेंट, स्टेशन, डिपो, जमीन की जरूरत का बिल्कुल सही खाका तैयार होता है। इससे प्रोजेक्ट डिजाइन तैयार करने में आसानी होती है।
अयोध्या को भी रूट से जोड़ने की योजना दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर 865 किमी लंबा है। इस बुलेट ट्रेन के रास्ते में मथुरा-आगरा-इटावा-लखनऊ-रायबरेली-प्रयागराज-भदोही जैसे शहर पड़ेंगे। इस बुलेट ट्रेन से जितना फायदा इस रूट से सीधे जाने वाले यात्रियों को होगा उतना ही फायदा रामनगरी में दर्शन करने वालों को भी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली और वाराणसी रेल कॉरिडोर में उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़ा जाएगा। दिल्ली से वाराणसी के बीच अयोध्या में स्टॉपेज बनाने की योजना तैयार की गई है। आमतौर पर दिल्ली से अयोध्या ट्रेन से जाने में 10 घंटे लगते हैं। नोएडा के जेवर एयरपोर्ट से होते हुए बुलेट ट्रेन अयोध्या नगरी को भी जोड़ेगी।
साधु संतों ने पीएम मोदी का किया धन्यवाद बुलेट ट्रेन के शुरू होने से दिल्ली से वाराणसी और अयोध्या के बीच की दूरी चंद घंटों की हो जाएगी। बुलेट ट्रेन सेवा से अयोध्या को जोड़ने का सबसे बड़ा फायदा साधु संतों को मिलेगा। इससे वे कम समय में लंबी दूरी का सफर तय कर धार्मिक स्थल पहुंच सकेंगे। इस सेवा के लिए अयोध्या के संतों ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा है। मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि यह बहुत ही सराहनीय पहल है। दिल्ली से कोई भी ऐसी ट्रेन नहीं थी जो कम समय में श्रद्धालुओं को तीर्थ स्थलों पर दर्शन पूजन कराए। बुलेट ट्रेन से यात्रियों का आवागमन अयोध्या में बढ़ेगा और अयोध्या में रोजगार को भी प्रगति मिलेगी।