आय बढ़ाने पर मंथन
वित्तीय हालत को फिर से पटरी पर लाने के लिए निगम प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में बड़े हाउस टैक्स बकाएदारों पर शिकंजा भी कसा गया है। इनसे हुई वसूली के बाद परमानेंट कर्मचारियों के वेतन का आंशिक भुगतान किया गया है लेकिन संविदा कर्मचारी अभी भी वेतन के इंतजार में हैं।
वित्तीय हालत को फिर से पटरी पर लाने के लिए निगम प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में बड़े हाउस टैक्स बकाएदारों पर शिकंजा भी कसा गया है। इनसे हुई वसूली के बाद परमानेंट कर्मचारियों के वेतन का आंशिक भुगतान किया गया है लेकिन संविदा कर्मचारी अभी भी वेतन के इंतजार में हैं।
175 करोड़ का बकाया
उप्र स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों की माने तो निगम की माली हालत खराब है। आलम यह है कि ठेकेदारों की ओर से वार्डों में जो विकास कार्य कराए गए, उनका भी भुगतान नहीं हुआ है। बकाया राशि का आंकड़ा पौने दो करोड़ के करीब पहुंच चुका है। वहीं कर्मचारी मद की बात की जाए तो करीब 80-90 करोड़ रुपये बकाया है।
उप्र स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों की माने तो निगम की माली हालत खराब है। आलम यह है कि ठेकेदारों की ओर से वार्डों में जो विकास कार्य कराए गए, उनका भी भुगतान नहीं हुआ है। बकाया राशि का आंकड़ा पौने दो करोड़ के करीब पहुंच चुका है। वहीं कर्मचारी मद की बात की जाए तो करीब 80-90 करोड़ रुपये बकाया है।
10 करोड़ की कटौती भारी
राज्य वित्त आयोग की ओर से प्रत्येक नगर निकाय को 24 करोड़ की राशि जारी की जाती है लेकिन इसमें दस करोड़ रुपये एसटीपी के नाम पर काट लिए जाते हैं। इस रकम से निगम की वित्तीय हालत काफी सुधर सकती है। कर्मचारी संघ ने इस कटौती पर रोक लगाए जाने को लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखा है साथ ही नगर विकास मंत्री को भी अवगत कराया जा चुका है।
राज्य वित्त आयोग की ओर से प्रत्येक नगर निकाय को 24 करोड़ की राशि जारी की जाती है लेकिन इसमें दस करोड़ रुपये एसटीपी के नाम पर काट लिए जाते हैं। इस रकम से निगम की वित्तीय हालत काफी सुधर सकती है। कर्मचारी संघ ने इस कटौती पर रोक लगाए जाने को लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखा है साथ ही नगर विकास मंत्री को भी अवगत कराया जा चुका है।
2500 कर्मचारियों को भुगतान नहीं
कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की माने तो निगम के परमानेंट कर्मचारियों को किसी तरह वेतन भुगतान कर दिया जाता है लेकिन आउट सोर्सिंग से आए करीब 2500 कर्मचारियों को अभी तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। इन कर्मचारियों को अब भी पिछले दो माह के वेतन का इंतजार है। पदाधिकारियों का कहना है कि एसटीपी के नाम पर जो राशि काटी जा रही है, अगर उसमें रोक लग जाए तो स्थितियां सुधर सकती हैं।
कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की माने तो निगम के परमानेंट कर्मचारियों को किसी तरह वेतन भुगतान कर दिया जाता है लेकिन आउट सोर्सिंग से आए करीब 2500 कर्मचारियों को अभी तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। इन कर्मचारियों को अब भी पिछले दो माह के वेतन का इंतजार है। पदाधिकारियों का कहना है कि एसटीपी के नाम पर जो राशि काटी जा रही है, अगर उसमें रोक लग जाए तो स्थितियां सुधर सकती हैं।
फैक्ट फाइल
24 करोड़ रु. हर माह निगम को राज्य वित्तीय आयोग से मिलते
10 करोड़ रु. की कटौती एसटीपी के नाम पर होती
2500 संविदा कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं
2 माह से ये कर्मचारी कर रहे वेतन का इंतजार
175 करोड़ रु. के करीब ठेकेदारों का होना है भुगतान
24 करोड़ रु. हर माह निगम को राज्य वित्तीय आयोग से मिलते
10 करोड़ रु. की कटौती एसटीपी के नाम पर होती
2500 संविदा कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं
2 माह से ये कर्मचारी कर रहे वेतन का इंतजार
175 करोड़ रु. के करीब ठेकेदारों का होना है भुगतान
आश्वासन देकर करा रहे विकास
नवनिर्वाचित पार्षदों के सामने दोहरी चुनौती है। आलम यह है कि एक तो उन पर जनता से किए गए वादों को पूरा करने का प्रेशर है, वहीं दूसरी तरफ निगम की ओर से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है। जिससे वार्डों में विकास से जुड़े बड़े-बड़े कार्य जैसे सड़क-नालियों का निर्माण, पार्कों का सौंदर्यीकरण आदि नहीं हो पा रहा है। कुछ पार्षद तो ठेकेदारों को निगम से भुगतान कराए जाने संबंधी आश्वासन देकर अपने वार्डों में विकास कराने का प्रयास कर रहे हैं।
नवनिर्वाचित पार्षदों के सामने दोहरी चुनौती है। आलम यह है कि एक तो उन पर जनता से किए गए वादों को पूरा करने का प्रेशर है, वहीं दूसरी तरफ निगम की ओर से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है। जिससे वार्डों में विकास से जुड़े बड़े-बड़े कार्य जैसे सड़क-नालियों का निर्माण, पार्कों का सौंदर्यीकरण आदि नहीं हो पा रहा है। कुछ पार्षद तो ठेकेदारों को निगम से भुगतान कराए जाने संबंधी आश्वासन देकर अपने वार्डों में विकास कराने का प्रयास कर रहे हैं।
18 करोड़ की टिपिंग फीस बाकी
शहर से कचरा कलेक्शन की जिम्मेदारी संभालने वाली ईकोग्रीन कंपनी के प्रबंधक अभिषेक सिंह की माने तो करीब 18 करोड़ की टिपिंग फीस बाकी है। निगम की ओर से समय से भुगतान न होने के कारण अब स्थिति यह है कि कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है।
शहर से कचरा कलेक्शन की जिम्मेदारी संभालने वाली ईकोग्रीन कंपनी के प्रबंधक अभिषेक सिंह की माने तो करीब 18 करोड़ की टिपिंग फीस बाकी है। निगम की ओर से समय से भुगतान न होने के कारण अब स्थिति यह है कि कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है।
मेयर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि निगम की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इस बाबत नगर विकास मंत्री को भी अवगत कराया जा चुका है। निगम की वित्तीय सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
नगर आयुक्त उदयराज सिंह ने कहा कि निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए हम प्रयासरत हैं। सभी बकाएदारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बकाएदारों से होने वाली वसूली से स्थिति में कुछ सुधार संभव है।
पार्षदों ने बयां किया अपना दर्द
निगम की वित्तीय स्थिति ठीक न होने से वार्ड में विकास को रफ़्तार नहीं मिल पा रही है। स्थिति यह है कि जनता हमसे सवाल पूछने लगी है कि विकास कब होगा। – समीर पाल, पार्षद, इस्माइलगंज द्वितीय
निगम की वित्तीय स्थिति ठीक न होने से वार्ड में विकास को रफ़्तार नहीं मिल पा रही है। स्थिति यह है कि जनता हमसे सवाल पूछने लगी है कि विकास कब होगा। – समीर पाल, पार्षद, इस्माइलगंज द्वितीय
हम अपने स्तर से ही वार्ड का विकास कराने में लगे हैं। ठेकेदारों को भुगतान का आश्वासन देकर और अपनी गारंटी पर कार्य करा रहे हैं। – नागेंद्र सिंह चौहान, पार्षद, हजरतगंज-रामतीर्थ वार्ड बोला कर्मचारी संघ
नगर निगम की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल रहा है। संविदा कर्मचारियों की स्थिति और भी दयनीय है। एसटीपी के नाम पर होने वाली 10 करोड़ की कटौती बंद होनी चाहिए। इस बाबत पीएम और सीएम को पत्र भी लिखा गया है। – शशि कुमार मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ
नगर निगम की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल रहा है। संविदा कर्मचारियों की स्थिति और भी दयनीय है। एसटीपी के नाम पर होने वाली 10 करोड़ की कटौती बंद होनी चाहिए। इस बाबत पीएम और सीएम को पत्र भी लिखा गया है। – शशि कुमार मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ