संविदाकर्मियों को हटाए जाने के मामले पर कर्मचारी संगठन करेगा न्यालय से पुर्न विचार की अपील
संविदाकर्मियों को हटाए जाने के मामले पर कर्मचारी संगठन करेगा न्यालय से पुर्न विचार की अपील

लखनऊ. नगर निकायों और निगमों में नियुक्त 13 से 14 हजार दैनिक वेतनभोगी संविदा कर्मचारियों को हटाने के मामले में स्वास्त शासन कर्मचारी संगठन न्यालय से मानवीय आधार पर पुर्न विचार करने की अपील की है।
उत्तर प्रदेश की आपात बैठक में निकाय के संविदा कर्मिकों के बारे में आए फैसले पर चर्चा करते हुए माननीय न्यायालय से इस मामले में मानवीय आधार पर पुर्न विचार करने की मांग की है। संगठन के प्रदेश महामंत्री ने कहा कि संगठन पीड़ित कर्मचारियों के साथ है और जरूरत पड़ने पर इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर करेगा। इस निर्णय के परिपेक्ष्य में एक प्रान्तीय बैठक जल्द की जाएगी और इस बैठक में बहुमत के आधार पर आन्दोलन का फैसला लिया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए संगठन के महामंत्री अशोक गोयल ने बताया कि निकाय एवं निगम के संविदा कर्मिकों को लेकर जो फैसला आया है वह तथ्य के आलोक से परे है। उन्होंने कहा कि जिन नियुक्तियों को अवैध एवं बसपा शासनकाल का बताया जा रहा है वह वास्तव में तत्कालीन भाजपा ( कल्याण सिह ) के कार्यकाल की नियुक्तियाॅ है। उन्होंने यह भी कहा कि उक्त कार्मिक में जैसे विनय कुमार शुक्ला वर्ष 97, रामसागर 98, दयाशंकर 98,अनिल कुमार 99 आदि सैकड़ो कर्मचारी 17-18 वर्षो. से कार्यरत है। ऐसे में इन्हे अवैध कैसे माना जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर न्यायालय इन नियुक्तियों को अवैध मान रहा है तो इन कर्मिकों के नियुक्तकर्ता अधिकारियों के खिलाफ कोई दण्डात्मक आदेश क्यो नही किया गया। उन्होंने कहा कि जिन कर्मिकों को अवैध माना जा रहा है उनकी नियुक्ति निकायों की जरूरत के अनुसार निकाय अफसरों एवं सदन की अनुमति के उपरान्त की गई थी। यही नही शासन द्वारा इन्हे समय समय पर सेवालाभ भी दिये गए है। उन्होने कहा कि इस आदेश से प्रदेश के दस हजार से अधिक कर्मचारी एवं उनके परिजन सड़क पर आ जाएगे। उन्होंने प्रदेश सरकार से उक्त कार्मिकों को राहत दिलाए जाने की मांग की है। इस सम्बंध में नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ के अध्यक्ष आनंद वर्मा ने कहा कि उनका संगठन पीड़ित कर्मचारियों के साथ है जरूरत पड़ने पर उनका संघ पीड़ितों के पक्ष में सघर्ष करेगा। उन्होंने सरकार से बीच का रास्ता निकालने की मांग की है।
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