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लॉकडाउन के दौरान घर से ही बात करें मनोचिकित्सक से मिलेंगे सभी जवाब

locationलखनऊPublished: Apr 02, 2020 06:09:28 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

खासी से परेशान ,कोरंटाइन पीरियड की वजह से कोर्स में समस्या

लॉकडाउन के दौरान घर से ही बात करें मनोचिकित्सक से मिलेंगे सभी जवाब

लॉकडाउन के दौरान घर से ही बात करें मनोचिकित्सक से मिलेंगे सभी जवाब

लखनऊ, इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज की ओर से कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान फेसबुक पेज “घर मे क्या करें, नई प्रतियोगिता” के माध्यम से एक सकारात्मक पहल की। इसमें कोरोना क्राइसेस और मेंटल हेल्थ इशु पर मनोचिकित्सक डॉ.सृष्टि श्रीवास्तव से देशभर के विभिन्न लोगों ने अपनी मनोवैज्ञानिक समस्याओं को साझा किया। डॉ.सृष्टि ने उन्हें वॉट्सऐप नम्बर 9415785170 के माध्यम आसान हल सुझाए। संयोजक मयंक रंजन ने बताया कि खास बात यह रही कि इस नि:शुल्क सुविधा का लाभ लखनऊ ही नहीं मुम्बई और पुणे तक के लोगों ने उठाया।

खासी से परेशान ,कोरंटाइन पीरियड की वजह से कोर्स में समस्या

प्रेक्षा इंजीनियरिंग की छात्रा है। वह एग्जाम पोस्टपोन होने खासी परेशान हैं। उनके अनुसार चूंकि कोचिंग भी बंद है इसलिए कोरंटाइन पीरियड में वह अपनी कोर्स की समस्याओं का समाधान भी नहीं हासिल कर पा रही हैं। इसके उत्तर में डॉ.सृष्टि ने कहा कि कोरोना क्राइसेस, परीक्षाओं से बड़ी समस्या है क्यों कि यह मानव जीवन से सीधे जुड़ी है। जीवन होगा, तभी तो परीक्षाएं संभव हो सकेंगी। इसलिए बेहतर हो कि जो नहीं संभव हो पा रहा है उस पर से ध्यान हटा कर जो संभव हो पा रहा है उस पर केन्द्रित किया जाए। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि दिनचर्या का टाइम टेबिल बनाया जाए और छोटे-छोटे टारगेट बनाकर समयबद्ध रूप से उसे पूरा किया जाए। जहां तक कोचिंग के बंद होने का प्रश्न है तो वर्तमान में अध्यापकों से संपर्क करने के ऑनलाइन जैसे कई माध्यम है। इसलिए कोरंटाइन में रहते हुए भी समस्याओं का निदान संभव है। उन्होंने बताया कि सेल्फ स्टडी सफलता का अचूक मंत्र हैं।
अध्यापिका ने रखे अपने सवाल

महक ने अपनी परेशानी रखते हुए बताया कि वह पेशे से डीपीएस की अध्यापिका है। इसलिए उनकी चिंता बच्चों के कोर्स को लेकर है। उनके अनुसार यह चिंता उन्हें परेशान कर रही है कि स्टूडेंटस से दूर रखते हुए, बिना क्लासरूम के कैसे सबको समान रूप से ट्रेन करूं। इस पर डॉ.सृष्टि ने कहा कि वह खुद अध्यापिका हैं इसलिए वह जानती हैं कि ब्लैकबोर्ड, चॉक और क्लासरूम का क्या महत्व है? पर वह यह भी जानती हैं कि आज के बच्चे अल्ट्रा स्मार्ट हैं। जल्द ही वह मौजूदा ऑनलाइन क्लास के अनुरूप अपने को ढाल लेंगे। उन्होंने कहा यह दौर परंपराओं को निभाने का नहीं धैर्य के साथ नई तकनीक को अपनाने का है। जल्द ही सब नई तकनीक के आदि हो जाएंगें।
कोरोना का खौफ

सरिता ने कहा कि मुझे कोरोना का डर सता रह है। इसके चलते भविष्य की अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है। इस पर डॉ.सरिता ने कहा कि भूत या भविष्य के बजाए व्यक्ति को वर्तमान में रहना चाहिए। वर्तमान अगर संयमित रहेगा तो भविष्य भी उज्जवल होगा। इसलिए वर्तमान को बेहतर बनाने के लिए अच्छा प्रेरक साहित्य पढ़े। कुकिंग को फन की तरह लें। परिवार से अधिक से अधिक संवाद स्थापित करें। घर की छत में टहले और व्यायाम करें। मंत्रों का उच्चारण करने से आत्मशक्ति बढ़ेगी। मन के अंतरमुखी होते ही सब समान्य हो जाएगा।
आर्थिक संकट की घडी में क्या करें

संकल्प श्रीवास्तव ने कहा कि वह प्रोफेशनल संगीत निर्देशक हैं। उनके लिए घर से प्रोफेशनल कार्य करने में खासी परेशानी हो रही है। कार्य में रुकावट के चलते आर्थिक संकट भी बढ़ रहा है। ऐेसे में वह जबरदस्त तनाव में हैं। ऐसी स्थिति में वह क्या करें? इस पर डॉ.सृष्टि ने कहा कि संगीत सृजन का कार्य है। ऐसे में स्वाभाविक प्रवाह को रुकने से थोड़ी समस्याएं तो आएंगी ही पर इसके विपरीत अगर सोचा जाए तो सृजनकर्ता के लिए कोरंटाइन, गोल्डन पीरियड होता है। इस दौरान शांत मन से बिलकुल नया सृजन संभव है जो कैरियर में बूस्ट ला सकता है। सकारात्मकता के लिए मेडिटेशन जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि बेहतर हो कि हर सप्ताह यू-ट्यूब आदि पर एक कम्पोजीशन जरूर अपलोड की जाए। वेब पेज बना कर नए लोगों से संवाद स्थापित किया जाए। जहां तक आर्थिक लॉकडाउन का प्रश्न है यह स्पष्ट कर लेना चाहिए कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं लेकिन उतार-चढ़ाव के लिए जीवन होना जरूरी है। कोरंटाइन का पालन करने से ही जीवन को बचाया जा सकता है।
15 मिनट व्यायाम और मेडिटेशन

दिव्यांक ने कहा कि वह साइट इंजीनियर हैं इसलिए सामान्य दिनों में उनके पास जरा सा समय भी नहीं मिलता था। लॉकडाउन में उनके पास इतना समय हो गया है कि अब वह उससे उकता गए हैं। दूसरी ओर कोरोना के कारण निराशा से मन भरता जा रहा है। भविष्य को लेकर अनिश्चितताएं बढ़ती ही जा रही हैं। इस पर डॉ.सृष्टि ने कहा कि घबराएं बिलकुल नहीं। संचार साधनों का भरपूर उपयोग कर अपने परिवार के लोगों से संपर्क बनाए रखें। नए पकवान बनाए। मनपसंद संगीत सुनें। नियमित व्यायाम और मेडिटेशन करें। रोज 15 मिनट अपने से बात करें। निश्चिततौर पर यह आपकी तन्हाई को रचनात्मक ऊर्जा में तबदील कर देगा।
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