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Lohri 2018 : धूमधाम से शुरू हुई लोहड़ी की तैयारी, इस परिवार के लिए खास बन गया ये त्यौहार

locationलखनऊPublished: Jan 13, 2018 10:59:08 am

Submitted by:

Ruchi Sharma

Lohri 2018 : धूमधाम से शुरू हुई लोहड़ी की तैयारी, इस परिवार के लिए खास बन गया ये त्यौहार

lohri 2018

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लखनऊ. हर साल 13 जनवरी को मनाया जाने वाला त्यौहार फसल की कटाई और बुवाई के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। लोहड़ी के इस पावन इस दिन खान-पीन और नाच-गाने के साथ उल्लास पूर्वक इस त्यौहार का आनंद लिया जाता है। राजधानी लखनऊ में लोहड़ी की तैयारियां पूरी हो चुकी है। गुरुद्वारों से लेकर घरों तक में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। जिन सिख परिवारों में बीते साल विवाह हुआ है या जिनके घर बच्चे हुए हैं, उनके यहां लोहड़ी पर बड़े जश्न का इंतजाम किया गया है। लजीज पकवानों के साथ डीजे की धुन पर जमकर भंगड़ा और गिद्दा की तैयारी है।
इनकी होगी खास लोहड़ी

गोमती नगर निवासी गुरप्रीत कौर ने बताया कि सिंतबर के महीने में उनके घर बेटे शिखर का जन्म हुआ था। इस साल की लोहड़ी उनके लिए बड़ी महत्व रखती है। पूरे परिवार को साथ जश्न का उत्साह देखते ही बन रहा है। रिश्तेदारों के लिए खानपान का भी पूरी इंतजाम किया गया है। जश्न को अौर उत्साहपूर्ण मनाने के लिए पंजाब से भी काफी रिश्तेदार आए हैं।

आलमबाग निवासी हरप्रीत सिंह ने बताया कि इस बार के लोहड़ी उनके लिए काभी महत्वपूर्ण रखती है। शादी के बाद की ये पहली लोहड़ी है। पूरा परिवार जश्न में डूबा है। जोरशोर से तैयारियां चल रही है। पूरा परिवार आज एक साथ शामिल हुआ है। घर पर लोहड़ी के लिए खास ड्रेस और गजक, मूंगफली और पॉपकार्न संग दावत का इंतजाम किया गया है।
लोहड़ी का महत्व

लोहड़ी को लेकर लोगों की अलग- अलग मानताएं हैं। कुछ लोग मानते हैं कि लोहड़ी शब्द ‘लोई (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था, लेकिन कई लोग इसे तिलोड़ी से उत्पन्न हुआ मानते हैं, जो बाद में लोहड़ी हो गया। वहीं, कुछ लोग यह मानते है कि यह शब्द लोह’ से उत्पन्न हुआ था, जो चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण है।
जानिए क्यों मनाया जाता है लोहड़ी

कर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला यह पर्व पंजाब प्रांत रा पर्व है। लोहड़ी का अर्थ हैः ल (लकड़ी)+ ओह(गोहा यानि सूखे उपले)+ ड़ी(रेवड़ी)। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही लोहड़ी की अग्नि जलाई जाती है। इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को मां के घर से ‘त्योहार’ (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फलादि) भेजा जाता है। यज्ञ के समय अपने जामाता शिव का भाग न निकालने का दक्ष प्रजापति का प्रायश्चित्त ही इसमें दिखाई पड़ता है।
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