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आसान नहीं होगी उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की राह, सामने हैं यह पांच बड़ी चुनौतियां

locationलखनऊPublished: Feb 11, 2019 04:09:09 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी है…

priyanka gandhi vadra

आसान नहीं है उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की राह, सामने होंगी यह पांच बड़ी चुनौतियां

लखनऊ. प्रियंका गांधी वाड्रा की पॉलिटिकल एंट्री के साथ ही कांग्रेस ने अपना ब्रम्हास्त्र चला दिया है। प्रियंका के आने से जहां कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का उत्साह उफान पर है, विरोधी दलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं, प्रियंका के लिए भी चुनौतियां कम नहीं हैं। उन्हें ऐसे समय में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है, जब सूबे में कांग्रेस काफी बुरे दौर से गुजर रही है। यहां तक कि सपा-बसपा गठबंधन भी कांग्रेस पार्टी को दो से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं था। ऐसे में प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी है।
कमजोर संगठन
प्रियंका गांधी के सामने प्रदेश में कांग्रेस संगठन को फिर से मजबूत करने की बड़ी चुनौती है, क्योंकि यूपी के कई जिलों में संगठन सिर्फ कागजों पर ही मजबूत हैं। 1989 में सूबे की सत्ता हाथ से जाने के बाद क्षेत्रीय पार्टियों के उभार के दौर में कांग्रेस का संगठन कमजोर होता चला गया। लगातार पुराने नेता-कार्यकर्ता पार्टी से दूर होते चले गए। प्रियंका को बड़े नेताओं की कमी से भी दो-चार होना पड़ेगा।
पूर्वांचल की रणनीति
प्रियंका गांधी को जिस पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है, फिलहाल वह बीजेपी का मजूबत किला माना जाता है। एक तरफ वाराणसी से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं तो गोरखपुर लंबे समय से मुख्यमंत्री का गढ़ रहा है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी पूर्वांचल से हैं। अब तक अमेठी और रायबरेली तक सीमित रहीं प्रियंका के सामने पूर्वांचल और अवध क्षेत्र की 43 लोकसभा सीटों को मथने के लिये ज्यादा वक्त नहीं बचा है। यहां के सियासी समीकरण समझकर जीत की रणनीति बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त समय नहीं है।
वोटर का रुख पलटना
कभी दलितों और मुसलमानों के बीच मजबूत पैठ रखने वाली कांग्रेस का वोट बैंक सिकुड़ता जा रहा है। बीते समय से दलितों का झुकाव बसपा की ओर तो बड़ी संख्या में मुसलमान सपा के साथ हैं। सवर्णों वोटरों का भी कांग्रेस मोहभंग हो चुका है। सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा की मजबूत किलेबंदी के बीच वोटरों को कांग्रेस के साथ जोड़ना प्रियंका के लिए अहम चुनौती होगी।
जिताऊ कैंडिडेट की तलाश
जिताऊ कैंडिडेट की तलाश करना भी प्रियंका के सामने एक बड़ी चुनौती होगा। वर्तमान में कांग्रेस को मजबूत, टिकाऊ और जिताऊ कैंडिडेट की कमी से भी दोचार होना पड़ रहा है। प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर तो कांग्रेस के पास मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ 66 प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था। ऐसे में जिताऊ कैंडिडेट को तलाशना प्रियंका के सामने बड़ी चुनौती होगी। छोटे दलों से गठबंधन और उनके बीच सीटों का वितरण भी प्रियंका का सिरदर्द बढ़ा सकता है।
भाजपा के सवालों का जवाब
प्रियंका गांधी जब लोकसभा क्षेत्रों में जनता के बीच जाएंगी तो उन्हें पति रॉबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों का सामना भी करना पड़ेगा। इस मुद्दे पर उन्हें घेरने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी रणनीति बना ली है। योगी सरकार में चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इसके संकेत भी दे दिये। प्रियंका के रोड शो से पहले ही वह कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि यह प्रियंका का रोड शो नहीं, बल्कि चोर शो है। उन्होंने कहा कि गांधी-वाड्रा परिवार जमानत पर बाहर हैं। वह रोड शो नहीं कर सकते। हां चोर शो जरूर कर सकते हैं।
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