लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर सकती है। शिवपाल यादव पहले ही कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। बस उनकी डिमांड सम्मानजनक सीटों की है। यूपी की राजनीति में शिवपाल यादव को बड़ा कद्दावर नेता माना जाता है। मैनपुरी, इटावा से लेकर पूर्वांचल की कई सीटों पर उनकी अच्छी पकड़ है। वह समाजवादी पार्टी के वोटबैंक में सेंध लगाने की क्षमता रखते हैं।
अपना दल (कृष्णा पटेल) भी कांग्रेस पार्टी से गठबंधन कर सकती है। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपना दल दो गुटों में बंट गया था। एक गुट की केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का है, निष्कासन के बाद जिन्होंने नई पार्टी अपना दल सोनेलाल बना ली। अनुप्रिया पटेल ने भाजपा संग मिलकर 2014 का लोकसभा चुनाव और 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में कृष्णा पटेल को तो कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन अब वह लोकसभा चुनाव से पहले वह तेजी से सक्रिय हुई हैं।
उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है। बीते दिनों आप प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा था कि उनकी पार्टी कृष्णा पटेल की पार्टी से गठबंधन को लेकर विचार कर रही है, लेकिन हमारे लिए अन्य विकल्प भी खुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात हो चुकी है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि यूपी में आप और कांग्रेस पार्टी का गठबंधन हो सकता है।
लोकसभा चुनाव से पहले डॉ. मोहम्मद अयूब की पीस पार्टी भी कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने अपना दल से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पीस पार्टी घोषी, आजमगढ़ और संत कबीर नगर समेत पूर्वांचल की मुस्लिम बहुल करीब आधा दर्जन सीटों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।