सभी मंदिरों में भजनों की गूंज अब परिसर से बाहर नहीं जा रही है। उसे ध्वनि प्रदूषण के मानक स्तर से कम कर दिया गया है। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक भजन बजाने वाले को इस बाबत सख्त निर्देश दे दिया गया है।गोरखनाथ मंदिर और जिले में उससे जुड़े मानसरोवर मंदिर, मंगला माता मंदिर, रामजानकी मंदिर, सोनबरसा मंदिर में प्रतिदिन सुबह चार से साढ़े सात बजे यानी साढ़े तीन घंटे तक और शाम को पांच से साढ़े सात बजे यानी ढाई घंटे तक लाउडस्पीकर से भजन बजाया जाता है। माहौल में भक्ति भाव घोलने के लिए भजनों की गूंज ध्वनि प्रदूषण के मानक से काफी अधिक रहती थी।
LoudSpeaker आवाज़ कम करने का निर्देश गुरुवार को जब उन्होंने इस आवाज को कम रखने का निर्देश प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों के लिए जारी किया तो उसे गोरक्षपीठ पर भी पूरी सख्ती से लागू करके अन्य धार्मिक स्थलों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक अब भजनों की गूंज मंदिर परिसर से बाहर नहीं जा रही। उसे ध्वनि प्रदूषण के सामान्य स्तर 45 डेसीबल के आसपास ही रखा जा रहा है। ऐसा गोरक्षपीठ से जुड़े मंदिरों में सुनिश्चित किया जा रहा है। अब किसी भी धार्मिक स्थल पर नया लाउडस्पीकर न लगने पाए, यह भी मुख्यमंत्री का निर्देश है।
मथुरा पुजारी बोले हमे कोई आदेश नहीं आया, फिर भी हटा लिया
श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि उनके पास प्रशासन की ओर से ऐसा कोई आदेश तो नहीं आया है पर सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे इसलिए यह फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि भागवत भवन पर लाउडस्पीकर साल 1985 से लगे हैं।
Noida में उतारे गए 600 से अधिक लाउडस्पीकर
वहीं नोइडा में भी नोएडा पुलिस ने 602 मंदिरों,265 मस्जिदों को नोटिस देकर लाउडस्पीकरों की आवाज परिसरों तक सीमित करने को कहा था। दिल्ली के जहांगीरपुरी में धार्मिक यात्रा के दौरान हिंसा के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने लाउडस्पीकर की आवाज परिसर के बाहर न जाने का आदेश दिया था। आदेश का असर दिखने लगा है।