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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : अखिलेश की साइकिल के ‘ब्रेकर’ बनेंगे शिवपाल यादव

locationलखनऊPublished: Oct 13, 2021 07:04:40 am

– कानपुर से समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा तो, मथुरा के वृंदावन से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल की सामाजिक परिवर्तन यात्रा 12 अक्टूबर को निकली हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : अखिलेश की साइकिल के 'ब्रेकर' बनेंगे शिवपाल यादव

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : अखिलेश की साइकिल के ‘ब्रेकर’ बनेंगे शिवपाल यादव

लखनऊ. UP Assembly Election 2022 लोहिया की पुण्यतिथि पर 12 अक्टूबर को एक ही वृक्ष से निकली दो शाखाएं यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सियासत की नई इबारत लिखने जा रही हैं। कानपुर से समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा तो, मथुरा के वृंदावन से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल की सामाजिक परिवर्तन यात्रा आज निकली हैं। दोनों सियासी अनुयायियों में असली समाजवादी साबित करने की होड़ है। पर यह संभावना है कि अगर देर सवेरे गंठबंधन न हुआ तो अखिलेश की साइकिल के लिए शिवपाल यादव ‘ब्रेकर’ बन सकते हैं। क्योंकि अखिलेश की समाजवादी पार्टी के पास एक लम्बा इतिहास और शिवपाल के पास खोने को कुछ नहीं है सिर्फ पाने के सिवाय।
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सपा के गढ़ में मतदाताओं की शिवपाल भी हैं पसंद :- उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं। चुनाव 2007 में समाजवादी पार्टी ने 97 जीती थी। विधानसभा चुनाव 2012 में 224 सीटें जीतने वाली सपा चुनाव 2017 में सिर्फ 47 सीटों पर सिमट गई। यूपी के एटा, इटावा, फ़र्रुखाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, आजमगढ़, फ़ैज़ाबाद, बलिया, संत कबीर नगर और कुशीनगर जिले को यादव बहुल माना जाता है। और इसे समाजवादी पार्टी का गढ़ भी कहते हैं। मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल यादव ने इस वोट बैंक को बड़ी मेहनत से बनाया था। और इनमें आज भी शिवपाल को पसंद किया जाता है।
गढ़ में हो जाता है मतदाता कन्फ्यूज :- चुनाव 2017 से पूर्व समाजवादी पार्टी के लिए अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में मनमुटाव हो गया। पर समाजवादी पार्टी को इसकी भारी कीमत अदा करनी पड़ी। इस दरार की वजह से विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी को सिर्फ 47 सीट मिली। जिसमें कुछ शिवपाल का भी हाथ रहा। इसके बाद और न चाहते हुए भी शिवपाल यादव को नई पार्टी प्रसपा (लोहिया) का गठन करना पड़ा। लोकसभा चुनाव 2019 में शिवपाल यादव ने भाई रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद सीट से मैदान में उतरे और दोनों को मात खानी पड़ी। वैसे देखा जाए तो शिवपाल भी सपा से अलग होने के बाद बहुत बड़ा करिश्मा नहीं दिखा सके हैं। सवाल यह है कि गढ़ में मतदाता कन्फ्यूज हो जाता है कि वोट शिवपाल को दें या अखिलेश को।
विजय रथ यात्रा :- अखिलेश यादव की विजय यात्रा दो दिन तक चार जिलों में 190 किलोमीटर का सफर तय कर कानपुर देहात के माती में समाप्त हो जाएगी। अखिलेश की नजर बुंदेलखंड की राजनीतिक जमीन पर है जहां समाजवादी पार्टी का फूल खिलाने की कोशिश हैं। गौर करें तो बुंदेलखंड इलाके में झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर और बांदा जिले आते हैं जबकि कानपुर रीजन में कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा और कन्नौज आते हैं। यात्रा से पूर्व अखिलेश यादव बोले, भाजपा को नहीं हटाया तो किसानों की तरह संविधान भी कुचला जाएगा।
वृंदावन से सामाजिक परिवर्तन यात्रा :- वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के साथ प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सामाजिक परिवर्तन यात्रा को हरी झंडी दिखाई। यात्रा मथुरा से शुरू होगी और सात चरणों में रायबरेली में खत्म होगी। यात्रा के जरिए शिवपाल सभी जिलों का चुनावी दौरा करेंगे। और मतदाताओं की नब्ज को टटालेंगे। प्रसपा विधानसभा की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।

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