scriptलाइट बंद करने से सिर्फ़ 3000 मेगावाट की खपत होगी कम, परेशान न हों नहीं फेल होगा ग्रिड | Lucknow April 5 Sunday night Nine o'clock Lights Off Fail Electricity | Patrika News

लाइट बंद करने से सिर्फ़ 3000 मेगावाट की खपत होगी कम, परेशान न हों नहीं फेल होगा ग्रिड

locationलखनऊPublished: Apr 04, 2020 08:57:12 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग चिंता में डूब गया है कि नौ मिनट में लगभग 3000 मेगावाट बिजली की खपत अचानक कम हो जाएगी। जिससे पावर ग्रिड फेल होने और ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है। पर लाइट बंद करने से सिर्फ़ 3000 मेगावाट की खपत कम होगी, परेशान न हों नहीं फेल होगा ग्रिड।

लाइट बंद करने से सिर्फ़ 3000 मेगावाट की खपत होगी कम, परेशान न हों नहीं फेल होगा ग्रिड

लाइट बंद करने से सिर्फ़ 3000 मेगावाट की खपत होगी कम, परेशान न हों नहीं फेल होगा ग्रिड

लखनऊ. रविवार को रात नौ बजे, नौ मिनट के लिए 23 करोड़ उत्तर प्रदेशवासी अपने—अपने घर की लाइटें बंद कर देंगे। इस वजह से उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग चिंता में डूब गया है कि नौ मिनट में लगभग 3000 मेगावाट बिजली की खपत अचानक कम हो जाएगी। जिससे पावर ग्रिड फेल होने और ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है। बिजली विभाग इसका जुगाड निकलने में जुटा हुआ है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ग्रिड फेल होने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि विभाग ने स्थिति से निपटने के लिए कार्ययोजना बना ली है।
बिजलीघरों को उत्पादन कम करने के निर्देश :- उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग ने ग्रिड को सुरक्षित रखने के लिए 5 अप्रैल को रात 8 बजे से ही आपात कटौती शुरू करने की योजना बनाई है। साथ ही सभी ट्रांसमिशन उपकेंद्रों पर अधीक्षण अभियंता से लेकर अवर अभियंताओं को तकनीकी स्टाफ के साथ मुस्तैद रहने को कहा गया है। बिजली मांग घटने की संभावना को देखते हुए बिजलीघरों को भी आवश्यकतानुसार उत्पादन में कमी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
कम या ज्यादा होने पर ब्लैकआउट का खतरा :- गौर करें मामला यह है कि, प्रदेश में जितनी बिजली का उत्पादन होता है, उतनी ही आपूर्ति भी होनी चाहिए, तभी सामान्य रूप से ग्रिड का संचालन हो सकता है। उत्पादन कम और मांग ज्यादा होने पर ग्रिड की फ्रीक्वेंसी कम (लो) तथा उत्पादन ज्यादा और मांग कम होने पर फ्रीक्वेंसी हाई हो सकती है। इन दोनों स्थितियों में ही ग्रिड के फेल होने का खतरा बना रहता है। जिससे ब्लैकआउट का खतरा मंडराने की आशंका बनी रहती है।
लोड में 3000 मेगावाट की कमी :- इस समय औद्योगिक, वाणिज्यिक व कृषि लोड नहीं है। शाम के वक्त बिजली की अधिकतम मांग 14000 मेगावाट से ज्यादा है। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) के अभियंताओं का कहना है कि एकाएक लोड में 3000 मेगावाट की कमी होने से ग्रिड की फ्रीक्वेंसी हाई हो सकती है, जिससे ग्रिड के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
रणनीति के लिए लिखा खत :- आने वाले संकट से निपटने के लिए एसएसडीसी के निदेशक राम स्वारथ ने शुक्रवार को ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन के निदेशक (ऑपरेशन), राज्य विद्युत उत्पादन निगम के निदेशक (तकनीकी) व पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक (वितरण) को पत्र भेजकर अपने-अपने स्तर से जरूरी उपाय करने का अनुरोध किया है ताकि ग्रिड को सुरक्षित रखा जा सके।
पत्र में कहा गया है कि 5 अप्रैल को प्रदेश में रात 8 बजे से नौ बजे के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में बारी-बारी से आपात कटौती शुरू की जाएगी ताकि एक साथ लोड कम न हो।
इंजीनियर-कर्मचारी मुस्तैद :- उधर, ट्रांसमिशन कार्पोरेशन के निदेशक (ऑपरेशन) आर.के. सिंह की ओर से सभी मुख्य अभियंताओं को भेजे गए पत्र में कहा है कि 5 अप्रैल को रात 8 से 10 बजे के बीच ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन के प्रत्येक उपकेंद्र पर अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता व अवर अभियंता में से कम से कम एक अधिकारी अपने चार्ज मोबाइल व कुशल तकनीकी सहायक तथा श्रमिकों के साथ उपस्थित रहें, जिससे उपकेंद्रों का सुचारू रूप से संचालन हो सके।
मैनेज करने में सक्षम :- बिजली विभाग के पूर्व सचिव आरसी शाही ने कहा कि पावर ग्रिड, बिजली की मांग में आई कमी को मैनेज करने में सक्षम है। बिजली की मांग या भार कम हो जाएगा, लेकिन अगर फ्रीक्वेंसी का ठीक से प्रबंधन किया जाता है, तो कोई अस्थिरता नहीं होगी। इस दौरान एहतियाततौर पर बिजली उत्पादन केंद्रों को भी उत्पादन में कमी करनी चाहिए।
बिजली आपूर्ति 15 मिनट के 96 ब्लॉक में विभाजित :- हमारे घरों तक 3 तरीकों से बिजली पहुंचाई जाती है। पहला पॉवर जनरेटर्स जैसे एनटीपीसी, दूसरा हर राज्य में मौजूद वितरण कंपनियां और तीसरा राज्य भार प्रेषण केंद्र या एसएलडीसी। एलसीडीसी बिजली की मांग के साथ आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक बिजली आपूर्ति को एक दिन में प्रत्येक 15 मिनट के 96 ब्लॉक में विभाजित किया गया है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा रोडमैप तैयार :- प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने शनिवार को एक बयान में कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि रविवार रात नौ बजे नौ मिनट के लिए घरों की ट्यूबलाइट और बल्ब बंद करने से ग्रिड फेल हो जाएगा। उन्होंने कहा, सेंट्रल लोड डिस्पैच सेंटर यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी राज्य की ग्रिड पर कोई संकट ना हो। उत्तर प्रदेश में हमारे इंजीनियर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कहीं किसी तरह की कोई कठिनाई न आए। उसके लिए हमने रोडमैप तैयार किया है। श्रीकांत ने कहा, हम अपील करते हैं कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर आप सभी लोग रविवार रात अपने घरों में नौ मिनट के लिए ट्यूब लाइट और बल्ब बंद कर एकजुटता का परिचय दें और कोरोना वायरस रूपी राक्षस को हम प्रकाश से चुनौती देकर परास्त करें।
बिजली कंपनियां कमर कसकर तैयार :- सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में पिछले वर्षों के मुकाबले अप्रैल माह में बिजली की खपत जहां लगभग 14000 मेगावाट होती थी वहीं इस बार यह लगभग आधी ही है। ऐसे में बिजली कंपनियां पहले से ही कमर कसकर तैयार हैं।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि प्रदेश में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी। हालांकि ऐसे हालात को संभालना कोई मुश्किल काम नहीं है लेकिन इसके लिए बेहतर तालमेल से काम करना पड़ेगा।
वर्ष 2012 में सबसे बड़ा ब्लैकआउट :- अगर फ्रीक्वेंसी ज्यादा या कम हो तो ब्लैकआउट हो सकता है, जैसा कि वर्ष 2012 में पूरे देश में हुआ था। यह दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैकआउट था और 60 करोड़ की आबादी अचानक बिजली से महरूम हो गई थी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो