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Chhath 2020 : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की छठी माई की पूजा

locationलखनऊPublished: Nov 20, 2020 09:35:06 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

चार दिवसीय महापर्व का समापन शनिवार को प्रातः अर्घ्य के साथ सम्पन्न होगा।

Chhath 2020 : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की छठी माई की पूजा

Chhath 2020 : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की छठी माई की पूजा

लखनऊ, छठ महापर्व के तीसरे दिन शुक्रवार को लखनऊ में व्रतियों ने दिन भर पूजा की तैयारियाँ कीं और सायंकाल डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के सुख-शान्ति की कामना की। छठ गीतों के मनोहारी स्वर के बीच भोजपुरी भाषी लोगों के हर वर्ग के लोगों में महापर्व का उल्लास देखने को मिला। कोरोना के साये में भी व्रतियों ने गोमती के विभिन्न घाटों के अतिरिक्त जगह-जगह पार्कों व घर की छतों पर लोगों ने पूजन अनुष्ठान पूरा किया। इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास द्वारा झूलेलाल घाट सहित गोमती नगर, विकास नगर, जानकीपुरम, मवैया आदि स्थानों पर लोगों में मास्क वितरित किये गये। चार दिवसीय महापर्व का समापन शनिवार को प्रातः अर्घ्य के साथ सम्पन्न होगा।
अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानन्द पाण्डेय ने कहा कि सभी व्रतियों से कोविड नियमों को पालन करते हुए घाट पर भीड़ न लगाने की अपील की गई थी। न्यास के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर मास्क का वितरण भी किया। उन्होंने बताया कि न्यास के पदाधिकारियों में आरती पांडेय ने निराला नगर, दशरथ महतो ने जानकीपुरम, हेमलता त्रिपाठी ने विकास नगर, अखिलेश द्विवेदी ने अहिबरनपुर में अपने अपने घरों तथा एस.के. गोपाल ने गोमती नगर के विनय खण्ड स्थित पार्क में अर्घ्य दिया।
मांगी कोरोना से मुक्ति की मनौती

अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के महासचिव एस.के.गोपाल ने कोरोना संकट से विश्व को उबारने की कामना के साथ अगले वर्ष झूलेलाल घाट पर इक्वायन जोड़ी कोसी भरने का संकल्प लिया तथा छठी मइया से मनौती मांगी।
श्रद्धालुओं ने भरी कोसी और सुशोभिता पर जलाये दीप

आज अपराह्न से ही व्रती परिवारों ने गोमती किनारे डेरा डाल दिया। नदी से मिट्टी निकालकर छठ माता का चौरा बनाया तथा वहीं पूजा का सारा सामान रखकर नारियल चढ़ाते, धूप-दीप जलाते तथा छठ गीत गाते हुए सूर्यास्त की प्रतीक्षा करते रहे। नदी किनारे गन्ने का घर बनाकर उन पर दीया जलाया। वहीं पानी में पाँच गन्ना लगाकर उनके पत्तों को आपस में बाँधकर कई व्रतियों ने छठ मइया को साड़ी चढ़ाई। अनेक व्रतियों ने कोसी भी भरा।
छठ गीतों से गुलजार हुए घाट

शाम होते ही घाटों पर महिलाओं के समवेत स्वर गूंजे। छठ के पारम्परिक गीतों से गुलजार घाटों का नजारा विहंगम रहा। सेविले चरन तोहार हे छठी मइया महिमा तोहर अपार…, उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर…, निंदिया के मातल सुरुज अँखियो न खोले हे.हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी. छोटी रे मोटी डोमिन बेटी के लामी-लामी केश, सुपवा ले अइहा रे डोमिन, अर्घ्य के बेर… जैसे गीत से घाट गुलजार हुए।
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