लखनऊ का घंटाघर बना नया ‘शाहीनबाग’ सीएए-एनआरसी के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का प्रदर्शनपुलिस ने समझाया पर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने किया साफ इनकारघंटाघर पार्क के आसपास की लाइट काटी
उत्तर प्रदेश में चार ‘शाहीनबाग’, ठंड में सीएए-एनआरसी के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं का बच्चों संग प्रदर्शन
लखनऊ. अभी तक तो नई दिल्ली का शाहीन बाग देश में चर्चा का विषय बना था। अब लखनऊ के रूमी गेट के पास घंटाघर भी नया शाहीन बाग बनने जा रहा है। नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) के विरोध में लखनऊ की मुस्लिम महिलाओं और बच्चों ने विरोध का बिगुल बजा दिया है। इस ठंड और कोहरे भरे मौसम में पिछले 24 घंटे से अधिक समय से मुस्लिम महिलाएं अपने बच्चों संग घंटाघर पर सीएए और एनआरसी के विरोध की तख्तियां लेकर जुटीं हैं। शुक्रवार दोपहर तीन बजे इनका यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है जो अभी भी बरकरार है।
प्रदर्शन की जानकारी मिलने पर पुलिस आयुक्त सुजीत पांडे अपने मातहत अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और महिलाओं को समझाने का प्रयास किया लेकिन महिलाओं ने मांग पूरी न होने तक अपना प्रदर्शन समाप्त करने से मना कर दिया।
पुलिस ने देर शाम महिलाओं को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं मानी तो घंटाघर की स्ट्रीट लाइट बंद कर दी गई। इसके बाद भी महिलाएं वहां डंटी रहीं। घंटाघर पर धरने की खबर मिलते ही काफी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची और धरने पर बैठी महिलाओं को समझाने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पुलिस को जिलाधिकारी संबोधित ज्ञापन सौंप और धरना समाप्त करने से इंकार कर दिया। ज्ञापन में अपील की गई कि डीएम धरना देने में सहयोग करें उनकी आवाज को न दबाएं। इस बीच घंटाघर पार्क के आसपास की लाइट काट दी गई है। और बड़ी संख्या में महिला कर्मी को तैनात कर दिया गया है।
सीएए के विरोध में गिरफ्तार होने के 19 दिन बाद जमानत पर रिहा सामाजिक कार्यकर्ता इस प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए घंटाघर पहुंची सदफ जाफर ने कहा कि सीएए एक असंवैधानिक कानून है और यह देश की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों को हिंसक बना कर जिस तरह से इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की उसके मद्देनजर महिलाएं यह बताना चाहती हैं कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि हिंदुस्तानियत के खिलाफ है। सदफ ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश की सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता देने के बारे में सोच भी कैसे सकती है।
धरने में शामिल शबीह फातिमा व रेहाना ने केंद्र सरकार से एनआरसी व सीएए लागू न करने की अपील की। कहा कि, सीएए में मुसलमानों को शामिल न कर सरकार हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ना चाहती है। देश के नागरिकों को अपने भारतीय होने का सबूत देने के लिए दर-दर भटकना होगा।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, अलीगढ़ और देवबंद में ऐसे ही धरने दिए जा रहे हैं। प्रयागराज में महिलाएं शहर के मनसूर अली पार्क में रविवार से धरने पर बैठी हैं। सात दिन बीत गए, पुलिस और प्रशासन कड़ी मशक्कत के बाद भी उनका धरना समाप्त कराने में कामयाब नहीं हो सका है। आंदोलन की कमान मुस्लिम महिलाओं के हाथों में है और वहां पर बड़ी संख्या में छोटे बच्चे और पुरुष भी उपस्थित हैं। महिलाएं पूरी रात यहां खुले आसमान तले बैठी हैं, यहीं नमाज पढ़ती हैं और यहीं पर खाना खाती हैं। सरकार से यह मांग कर रहीं हैं कि सीएए और एनपीआर को वापस लें।