दिल्ली के शाहीनबाग की तरह लखनऊ, प्रयागराज, आजमगढ़, अलीगढ़, कानपुर, देवबंद, इटावा और बरेली में महिलाएं अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं, इटावा, वाराणसी, अलीगढ़ और रायबरेली में पुलिस ने प्रदर्शकारी महिलाओं को हटाकर मैदान खाली करा लिया है। इन सभी शहरों में महिला प्रदर्शकारियों पर तमाम धाराओं में मुकदमे भी लगा दिए हैं। यूपी में अब तक सात अलग-अलग एफआईआर में एक हजार से अधिक महिलाओं पर धारा 144 का उल्लंघन समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इनमें मशहूर शायर मुन्नवर राना की बेटियां सुमैया राना व फौजिया राना भी शामिल हैं। पुलिस प्रशासन का कहना है कि धारा 144 का उल्लंघन हो रहा है और दंगा फैलाने की कोशिश की जा रही है इस कारण पुलिस को केस दर्ज करना पड़ रहा है। इसके बावजूद उनके हौसलों में कमी नहीं आई है। उनका प्रदर्शन जारी है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध-प्रदर्शन में मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे सादिक के बेटे के खिलाफ लखनऊ में एफआइआर दर्ज की गई है। पुलिस ने इनके खिलाफ ट्रैफिक जाम करने और धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में एफआइआर दर्ज की है। कल्बे सादिक के बेटे व 10 नामजद समेत सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 145, 147, 188, 283, 353 और सीएलए 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। शुक्रवार को घंटाघर में प्रदर्शन कर रही महिलाओं के समर्थन में जुलूस निकाला गया था, जिसकी वजह से घंटाघर पर जाम लग गया था। लखनऊ के घंटाघर में चल रहे अंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने घंटाघर में प्रदर्शनकारियों को आने वाली दिक्कतों पर रोष जताते हुए कहा था कि मैंने आज तक कभी सिनेमा नहीं देखा, पर हर घर में उजाला है और घंटाघर पर अंधेरा, जो सरकार को दिखाई नहीं दे रहा है। कोई मोदी कोई शाह हमारा भविष्य नहीं बना सकता। आज जो हमारे देश में हो रहा है वो बेहद दर्दनाक है। उन्होंने कहा कि देश मोदी-शाह की मजीर से नहीं, संविधान से चलेगा।
सीएए के खिलाफ संपत्ति के नुकसान की वसूली के योगी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता परवेज आरिफ ने याचिका में यूपी सरकार के फैसले का गलत बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की है। साथ ही यूपी में हुई हिंसक घटनाओं की न्यायिक जांच कराने की भी मांग की है। याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी। दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि वसूली का नोटिस उन लोगों को जारी किया गया है जो इस दुनिया में है ही नहीं। साथ ही वह, जिनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज ही नहीं है। आपको बता दें कि बीते वर्ष दिसंबर को यूपी के कई जिलों में सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें करोड़ों रुपए की सार्वजनिक व निजी संपत्तियों का नुकसान हुआ था। नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने उपद्रवियों को चिन्हित कर नुकसान के मुआवजे का नोटिस भेजा है।