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आने वाले दिनों में ऑनलाइन सट्टा व ऑनलाइन गैंबलिंग संचालकों की खैर नहीं

locationलखनऊPublished: Mar 25, 2021 10:59:14 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

– अब ऑनलाइन गैंबलिंग यूपी में होगा गैर जमानती अपराध शीघ्र- सटोरियों के विरुद्ध कड़े कानून का तैयार हो रहा मसौदा

आने वाले दिनों में ऑनलाइन सट्टा व ऑनलाइन गैंबलिंग संचालकों की खैर नहीं

आने वाले दिनों में ऑनलाइन सट्टा व ऑनलाइन गैंबलिंग संचालकों की खैर नहीं

लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार जुआ, सट्टा (Online betting) और ऑनलाइन गैंबलिंग (online gambling) पर शिंकजा कसने जा रही है। सटोरियों के खिलाफ कड़े कानून का नया मसौदा तैयार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश विधि आयोग (cm yogi) सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1867 को और ताकतवर बनाने के लिए आज की जरूरत के हिसाब से कानून बनाने की जोर आजमाइश कर रहा है। इस वक्त के सबसे खतरनाक ऑनलाइन गैंबलिंग पर शिंकजा कसने को आयोग, अपने देश के साथ दूसरे देशों के कानूनों का गहन अध्ययन कर रहा है।
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केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों ने कमर कसी :- भारतीय समाज में जुआ प्राचीन काल से स्वीकार्य है। दीवाली पर ताश और घुड़दौड़ पर भी दांव लगाना अच्छा माना जाता है। राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश में संगठित ढंग से सट्टा संचालन के खिलाफ कमर कसी है। जहां संगठित ढंग से सट्टा संचालन को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में लाने की तैयारी है वहीं सजा के साथ जुर्माना की राशि भी बढ़ाई जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि सटोरियों को सात साल तक की सजा का नए कानून में प्रावधान रखा जाएगा। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों ने भी इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
ऑनलाइन गैंबलिंग बड़ा खतरा :- इंटरनेट युग में सट्टा बाजार ऑनलाइन गैंबलिंग समाज के लिए नया खतरा बन रही है। योगी सरकार और राज्य विधि आयोग सूबे में कई कड़े कानूनों की नींव रख चुका है। अब आयोग के निशाने पर जुआ घर व ऑनलाइन सट्टे का संचालन करने वाले हैं।
कानून का दायर बड़ा होगा :- एक वरिष्ठ अफसर बताते हैं कि, वर्तमान में जुआ अधिनियम में अधिकतम एक वर्ष की सजा व एक हजार रुपए जुर्माना का प्रावधान है। पर ऑनलाइन गैंबलिंग का स्वरूप विश्वस्तरीय है। अधिकारी के अनुसार, बड़ा सट्टा पकड़े जाने पर पुलिस को बरामद उपकरणों, मोटी रकम व दस्तावेजों के आधार पर आरोपितों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए आइपीसी की धाराओं का सहारा लेना पड़ता है। किसी घर के भीतर जुआ खेले जाने की सूचना पर संबंधित जिले के एसपी से वारंट लेना जरूरी होता है। पर ऐसी संभावना है कि नए कानून के मसौदे में इन सभी अड़चनों को दूर किया जाएगा।
सभी पहलुओं पर चल रहा मंथन :- राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एएन मित्तल ने बताया कि सार्वजनिक जुआ अधिनियम का नया प्रारूप तैयार कराया जा रहा है। इसके लिए अध्ययन के साथ ही आर्थिक, सामाजिक व सभी पहलुओं को भी बारीकी से परखा जा रहा है। जुआ के इलेक्ट्रानिक स्वरूप को लेकर भी सख्त कानून बनाया जाएगा।

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