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कोरोना तोड़ रहा पारिवारिक ढांचा, गांवों में बढ़े संपत्ति विवाद के झगड़े, मई में 80 हजार से ज्यादा मामले दर्ज

locationलखनऊPublished: Jun 05, 2020 01:57:38 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

-दामाद मांग रहा ससुर से पत्नी के हिस्से की जायदाद -प्रवासी भाई जता रहा पैतृक मकान में हिस्सा -गांव लौटने के साथ परिवारों में बढ़े झगड़े-संपत्ति विवाद में अपनों के बीच कांटे की तरह चुभ रहे प्रवासी

कोरोना तोड़ रहा पारिवारिक ढांचा, गांवों में बढ़े संपत्ति विवाद के झगड़े, मई में 80 हजार से ज्यादा मामले दर्ज

कोरोना तोड़ रहा पारिवारिक ढांचा, गांवों में बढ़े संपत्ति विवाद के झगड़े, मई में 80 हजार से ज्यादा मामले दर्ज

पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट
महेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ. कोरोना संक्रमण ने सिर्फ बीमारी ही नहीं दी है बल्कि इसने सामाजिक ढांचे को तोडने का भी काम किया है। इस वायरस का संक्रमण पारिवारिक संस्कारों को छिन्न-भिन्न कर रहा है। भाइयों और बहनों के बीच दुश्मनी का कारण भी बन रहा है। लॉकबंदी की वजह से रोजी-रोटी छिन जाने के बाद लंबे समय बाद अपने गांवों को लौटे परिवारों में अब संपत्ति और जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गए हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों में 20 मई तक संपत्ति विवाद के 80,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। अप्रैल में जब लॉकडाउन शुरू ही हुआ था तब 38000 से अधिक शिकायतें पुलिस थानों में आ चुकी थीं। इनमें से 90 प्रतिशत शिकायतें जमीन के बंटवारे को लेकर थीं। आने वाले दिनों में जमीन को लेकर झगड़े और बढ़ेंगे क्योंकि जून के अंत तक खरीफ की फसलों की बुआई शुरू हो जाएगी। तब खेतों के बंटवारे को लेकर ज्यादा विवाद होगा। पुलिस अफसरों को कहना है आने वाले समय में जमीन संबंधी मुकदमों से निपटना आसान नहीं होगा। प्रदेश के 75 जिलों और करीब सत्तर हजार गांवों में ऐसे मामलों से बचने के लिए प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने एक सर्कुलर जारी किया है।
विभिन्न प्रदेशों को कमाने गए उत्तर प्रदेश के करीब 33 लाख श्रमिक और कामगार इन दिनों अपने गांवों में हैं। उनके पास कोई काम नहीं है। या तो मनरेगा में काम कर रहे हैं या फिर खाली बैठे हैं। इनमें से आधे से अधिक लंबे समय तक गांव से बाहर रहकर कमा खा रहे थे। उन्हें गांव की संपत्ति से मतलब नहीं था। भाई या फिर अन्य रिश्तेदार खेत की बुआई-जुताई कर रहे थे। अब जबकि प्रवासी मजदूर गांवों में ही रह रहे हैं तब उनमें खेती किसानी को लेकर नया विवाद सामने आ रहा है। परिवार में संपत्ति और खेती की जमीन को लेकर झगड़े हो रहे हैं। कहीं यह विवाद भाइयों के बीच है तो कहीं बाप से ही जमीन के बंटवारे को लेकर लड़ाई हो रही है। तमाम ऐसी शिकायतें भी आई हैं जहां बहनें अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मांग रही हैं। वहां स्वसुर और दामाद के बीच लड़ाई छिड़ गयी है।
हर रोज दर्ज हो रहीं शिकायतें :- उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों की माने तो प्रदेश के विभिन्न थानों में एक मई से लेकर 20 मई तक संपत्ति विवाद को लेकर 80,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। जबकि, अप्रैल में 38,000 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इनमें अधिकतर ऑनलाइन शिकायतें थीं। इसी तरह जनवरी से लेकर मार्च के बीच घर के मालिकाना हक, व्यावसायिक संपत्ति और खेती की जमीन को लेकर 49,000 शिकायतें दर्ज हुई थीं। पुलिस का मानना है कि अब संपत्ति विवाद के मामले और बढ़ेंगे। क्योंकि अभी मजदूरों का लौटना जारी है। इसके साथ ही अब आनलॉक है तो थानों तक पहुंच आसान हो गयी है। पुलिस प्रशासन के लिए इन मामलों से निपटना गंभीर चुनौती होगी।
ग्राम प्रधानों की बढ़ी मुश्किलें :- गांवों में परदेशी भइया की आमद से समस्याएं बढ़ गयी हैं। इससे ज्यादा परेशान ग्राम प्रधान हैं। उन्हें आए दिन घरेलू झगड़ों को निपटाने और सुलह-समझौता करवाने में समय देना पड़ रहा है। प्रतापगढ़ के भुवालपुर न्यायपंचायत के ग्राम प्रधान गुड्डू कहते हैं इन दिनों गांव में हर रोज संपत्ति को लेकर झगड़ा आम बात है। झगड़े उन्हीं घरों में हो रहे हैं जहां बाहर से लोग लौटे हैं।
संपत्ति बंटवारे के मामले ज्यादा :- मेरठ जोन के आठ जनपदों में पारिवारिक विवाद के अब तक 30 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें मेरठ रेंज के 21 और सहारनपुर रेंज के 9 मामले शामिल हैं। थाना लिसाड़ी गेट की शाहजहां कालोनी के दो भाई आस मोहम्मद और इंतजार नागपुर में काम करते हैं। दोनों भाइयों के पास पैतृक संपत्ति के रूप में एक ही मकान है। लॉकडाउन की वजह से काम बंद होने पर इंतजार घर लौट गए लेकिन आस नागपुर में ही फंसे हैं। इधर मेरठ में नूरजहां का इंतजार के साथ मकान में रहने को लेकर विवाद हो गया। मामले में पुलिस ने दोनों के बीच समझौता कराया। इसी तरह प्रेमचंद का दामाद मध्य प्रदेश में काम करता था। लॉकडाउन के कारण नौकरी चली गई। इसके बाद राजकुमार अपनी ससुराल आ गए। ससुराल में राजकुमार ने संपत्ति में हिस्सा मांगा तो पत्नी के भाइयों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी। पुलिस के मुताबिक, एनसीआर दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं :- वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी यहीं हाल है। भदोही जिले के गांवों से पुलिस के पास सैकड़ों मामले मारपीट और पुरानी रंजिश के आ रहे हैं। जिनमें प्रतिदिन दिन 50 से 60 मुकदमे लिखे जा रहे हैं। गांवों में अचानक बढ़े मारपीट के मामलों की वजह से से पुलिस परेशान होने के साथ-साथ सतर्क हो गई है। यह सिर्फ एक जिले का ही मामला नहीं है। पूरे प्रदेश में इस तरह के मामलों में वृद्धि हुई है।
यह तो होना ही है :- गांवों में बढ़ी संपत्ति की लड़ाई पर समाजशास्त्री डॉ. विमल वर्मा कहते हैं- यह तो होना ही था। जो अपने घरों को लौटे हैं उन्हें भी रोजी-रोटी की व्यवस्था करनी है। वे पैतृक संपत्ति में अपना हक मांगगें ही। लेकिन जो लंबे समय से सुख भोग रहे थे। उन्हें बंटवारे से परेशानी होगी ही। लॉकडाउन की दुश्वारियां जिन्होंने झेली हैं वे अब गांव में अपना स्थायी ठिकाना जरूर बनाएंगे। ऐसे में उन्हें घर और खेत में तो हिस्सा चाहिए ही। ऐसे में पिता या बड़े भाइयों की जिम्मेदारी बनती है कि वे सभी के बीच उचित बंटवारा करें यही इसका इलाज है।
डीजीपी ने किया था सतर्क :- डीजीपी यूपी डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने एक सप्ताह पहले एक सर्कुलर जारी कर जोन, रेंज, जिले व लखनऊ और नोएडा में तैनात अधिकारियों को कोविड-19 के कारण लौटने वाले प्रवासियों से संबंधित पुराने विवादों को लेकर सतर्क किया है। डीजीपी ने गांव, मोहल्ले में संपत्ति, पुरानी रंजिशें, पार्टीबंदी, गुटबंदी, राजनीतिक जाति व संप्रदायिक विवादों के चिह्नीकरण के निर्देश दिए है। उन्होंने सर्कुलर जारी कर कहा कि बीट आरक्षी नियमित रूप से ग्राम, मोहल्ले का भ्रमण कर विवाद घटनाओं की जानकारी हासिल कर अधिक से अधिक सूचनाएं एकत्र करें। जहां भी विवाद हो वहां संबंधित पक्षों को भारी राशि से पाबंद किया जाए और आईपीसी की धारा 151, 107, 116, 116-3, 117 के तहत कार्रवाई की जाए।

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