ऑक्सीजन कमी पर अखिलेश यादव का सीएम योगी पर हमला कहा, वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से… स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 31 मार्च को सिर्फ 2 जिलों में 100 से अधिक मरीज थे। 10 अप्रैल को 60 जिलों में 100 से कम मरीज थे। 15 अप्रैल को 26 जिलों में, 20 अप्रैल को 10 जिलों में और 25 अप्रैल को सिर्फ 6 जिले में 100 से कम मरीज हैं। शेष सभी जिलों में संख्या सौ से अधिक है।
गांवों में बढ़ी मौत की दर :- जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ी मौत का ग्राफ भी बढ़ने लगा है। 15 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में 9,480 लोगों की मौत हुई थी। पर 10 दिन बाद 25 अप्रैल को 11,165 पहुंच गई। इस तरह सिर्फ 10 दिन में पूरे प्रदेश में मौत की दर में करीब 17.77 फीसदी का इजाफा हुआ। जबकि छोटे जिलों में जहां मौत की दर काफी कम थी वहां यह बढ़ोतरी अब 10 फीसदी है।
हर दिन मौत :- ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले जिलों में मृत्यु दर में 15 से 25 अप्रैल के बीच 10.26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। झांसी, बांदा, जौनपुर, सोनभद्र, बस्ती, बलिया, हाथरस, पीलीभीत, सहारनपुर, बिजनौर में 15 अप्रैल तक कुल मौत का आंकड़ा 935 था जो 25 अप्रैल को बढ़कर 1ए031 पर पहुंच गया। जबकि इन सभी जिलों में 10 अप्रैल से पहले मरने वालों की संख्या काफी कम थी। अब स्थिति इन जिलों में हर दिन किसी न किसी की मौत हो रही है।
मास्क जरूरी :- लोहिया संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ भुवन चंद्र तिवारी का कहना है कि गांव में मरीजों की संख्या बढ़ी है अब मौत के आंकड़े भी बढ़ेंगे। बचने का बस एक तरीका है कि मास्क का प्रयोग किया जाए।
हालात बदल गए :- श्रम संविदा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सतीश दीक्षित का कहना है कि 10 अप्रैल पूर्व ग्रामीण लोग निश्चिंत नजर आ रहे थे, पर अब हालात बदल गए हैं। कर्मचारी प्रभावित :- अटेवा अध्यक्ष विजय बंधु का कहना है कि, पंचायत चुनाव में ड्यूटी के बाद लोगों के घरों तक कोरोना पहुंच गया है। काफी कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।