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विधान परिषद की 11 सीटों पर अब नहीं होंगे चुनाव, अगले आदेश तक टला

locationलखनऊPublished: Apr 05, 2020 11:05:01 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

कोरोना वायरस की वजह से पूरे प्रदेश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इस वजह से बहुत से जरूरी कामों को टल दिया जा रहा है। और उसे अगली डेट पर करने की सहमति बन रही है।

विधान परिषद की 11 सीटों पर अब नहीं होंगे चुनाव, अगले आदेश तक टला

विधान परिषद की 11 सीटों पर अब नहीं होंगे चुनाव, अगले आदेश तक टला

लखनऊ. कोरोना वायरस की वजह से पूरे प्रदेश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इस वजह से बहुत से जरूरी कामों को टल दिया जा रहा है। और उसे अगली डेट पर करने की सहमति बन रही है। उत्तर प्रदेश में रिक्त हो रही विधान परिषद सीटों पर चुनाव अप्रैल महीने में होने वाले थे। राज्य निर्वाचन आयोग ने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं। पर अब वह नहीं होंगे। उसके लिए 15 अप्रैल के बाद किसी तारीख पर चुनाव कराएं जाएंगे।
केन्द्रीय चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 11 सीटों पर होने वाले एमएलसी के चुनाव को अगले आदेशों तक टाल दिए हैं। इनमें से 5 खण्ड स्नातक और 6 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों की सीटें हैं। इन सीटों पर मौजूदा विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल आगामी 6 मई को समाप्त हो रहा है। उससे पहले इन सीटों पर चुनाव इसी अप्रैल माह में ही करवाए जाने थे।
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ल ने बताया कि इन चुनावों को करवाने के लिए पूरी चुनाव प्रक्रिया में अधिसूचना जारी किए जाने, नामांकन दाखिले, नामांकन की जांच, नाम वापसी व प्रचार के लिए कम से कम 4 सप्ताह का समय लगता है। मगर कोरोना वायरस संकट के मौजूदा हालात में यह चुनाव प्रक्रिया अप्रैल माह में पूरी होना सम्भव नही है।
इसलिए केन्द्रीय चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324, सहपठित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-16 के तहत मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए आदेश दिये हैं कि विधान परिषद की इन सीटों पर चुनाव प्रक्रिया परिस्थितियों की समीक्षा के बाद अगले आदेशों से शुरू की जाएगी।
राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची को अंतिम रूप दे दिया था। 28 जनवरी को ही संशोधित मतदाता सूची जारी कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश की कुल 100 विधान परिषद सीटें हैं। इनमें से भाजपा के पास महज 21 सदस्य हैं. जबकि सपा के पास 55 सदस्य हैं और बसपा के पास 8 विधान परिषद सदस्य हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पास दो सदस्य हैं, जिनमें से एक सदस्य दिनेश प्रताप सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इनके अलावा 5 सदस्य स्नातकों के द्वारा चुने जाते हैं और 6 सदस्य शिक्षक संघ के द्वारा चुनकर आते हैं। इन सदस्यों के क्षेत्र कई जिले और कई मंडलों को मिलकर होते हैं।

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