scriptकोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका | Lucknow Coronavirus Lock down Ganges Gomti Water Wind clean | Patrika News

कोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका

locationलखनऊPublished: Apr 05, 2020 04:27:50 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, शहरों का वायु प्रदूषण घटा लॉकडाउन से पर्यावरण और वायु की गुणवत्ता में सुधारगंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बेहतरनहाने और आचमन के लायक हुआ पानी

कोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका

कोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका

लखनऊ. कोरोना वायरस का खौफ पूरे उत्तर प्रदेश में है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लगा दिया है। इस कोरोना वायरस के खौफभरे समय में कुछ खबरें ऐसी हैं जो ताज़ा हवा के झोंके की तरह मन को प्रसन्न करती हैं। लॉकडाउन की वजह से प्रदेश की हवा जहां शुद्ध हो रही है वहीं गंगा-गोमती के पानी का रंग बदल गया है। अब गंगा और गोमती के जल का आचमन करने से लोग घबरा नहीं रहे हैं। 15 दिन पहले प्रदेश की जनता सांस लेने में घबराती थी, अब उन्हें आक्सीजन का स्वाद पता चल रहा है। लॉकडाउन में आसमान और गंगा दोनों का रंग अब नीला दिखने लगा है।
कई साल से गंगा को साफ करने की कवायद चल रही है। हजारों करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी गंगा सफाई का परिणाम बहुत कुछ अच्छा नहीं आया है। पर कोरोना वायरस से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का पॉजिटिव असर गंगा नदी पर दिखा। लॉकडाउन का रविवार को 12वां दिन है। अभी प्रदेश में करीब नौ दिन लॉकडाउन और रहेगा। पर गंगा का पानी कानपुर और वाराणसी में 40 से 50 फ़ीसदी तक निर्मल और स्वच्छ हो गया है। कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी तीनों शहरों में गंगा के स्वच्छ होने की वजह साफ है लॉकडाउन में हर आदमी घर के अंदर है। न सड़कों पर वाहन चल रहे हैं न फैक्ट्रियां चल रही है, सब बंद हैं। जिस वजह से गंगा ज्यादा मैली होती थी वह सब कारण इस वक्त तालाबंदी की वजह से घर में बंद हैं। कानपुर में बंद पड़े उद्योगों की वजह से गंगा के जल की गुणवत्ता में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है।
https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
गंगाजल में 40-50 फ़ीसदी तक सुधार :- आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर डॉक्‍टर पीके मिश्रा ने बताया है कि, वाराणसी और कानपुर में गंगा के पानी में 40-50 फ़ीसदी तक सुधार देखने को मिला है। गंगा में अधिकतर प्रदूषण कंपनियों की वजह से होता है और लॉकडाउन की वजह से उनके बंद होने के कारण यह महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है।’
https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
डॉक्‍टर मिश्रा ने आगे बताया कि, 15-16 मार्च की बरसात से गंगा का जलस्तर बढ़ गया। अगर हम लॉकडाउन के पहले और बाद के हालात पर नजर डालें तो बदलाव साफतौर पर देखा जा सकता है।कानपुर व वाराणसी की जनता ने कहाकि, लॉकडाउन की वजह से गंगा का पानी बहुत साफ नजर आ रहा है। लॉकडाउन की वजह से ऐसा बदलाव देखकर खुशी हो रही है।
पर्यावरणविद विक्रांत टोंकद का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्रों में खासा सुधार देखा जा रहा है, जहां बड़े पैमाने पर कचरा नदीं में डाला जाता था। गंगा में कानपुर के आसपास पानी बेहद साफ हो गया है। इसके अलावा, गंगा की सहायक नदियों हिंडन और यमुना का पानी भी साफ दिख रहा है। पर घरेलू सीवरेज की गंदगी अभी भी नदी में ही जा रही है। औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद ही हो गया है।
गंगा नदी की बन गई है अच्छी सेहत :- रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है।
कोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका
आदिगंगा गोमती का साफ पानी देख चेहरे पर आ रही खुश :- यही हाल लखनऊ से लेकर जौनपुर तक आदि नदी गोमती का है। आदिगंगा गोमती नदी का जल लॉक डाउन के दरम्यान निर्मल होकर स्नान, आचमन करने व पानी की गुणवत्ता जलजीवों और मछलियों के लिए उपयुक्त हो गई है। गोमती मित्र मंडल के अध्यक्ष मदन सिंह ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से कचरे को गोमती में फेंकने में काफी कमी आई है। लखनऊ से लेकर सुलतानपुर तक गोमती नदी के पानी मे काफी निर्मलता दिखाई दे रही है। इसके पहले लखनऊ से लेकर सुलतानपुर तक पूरे गोमती नदी के सफर में नदी का पानी नहाने के लिए भी ठीक नहीं था। लॉकडाउन में आदिगंगा गोमती नदी के जल की अच्छी सेहत दिखाई दे रही है।
कोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका
गाड़ियां हुईं लॉक, डाउन हुआ प्रदूषण :- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में सड़क पर यातायात और कारखानों के बंद होने से वायु प्रदूषण में भारी कमी आई है। लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों की एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई खतरे के निशान से ऊपर होते थे। अब वहां आसमान गहरा नीला दिखने लगा है। हवाओं में प्रदूषण फैलाने वाले कई कारक है। जैसे कार्बन उत्सर्जन में गिरावट आई, डस्ट पार्टिकल न के बराबर, कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन भी सामान्य से बहुत अधिक नीचे आ गया है। इस तरह की हवा मनुष्यों के लिए बेहद लाभदायक है। रुक-रुक कर हुई बारिश ने भी धूल के कण और कार्बन पार्टिकल को आसमान से जमीन पर नीचे बैठाने का काम किया। एनसीआर में पीएम 2.5, पीएम 10, ओ3, एनओ2, एसओ2 और सीओ की मात्रा बेहतर पाई गई है।
कोरोना वायरस के खौफ से गंगा-गोमती का पानी हुआ साफ, चला ताज़ा हवा का झोंका
प्रयागराज में बह रही है साफ हवा :- प्रयागराज में स्पीरेबल सस्पेंडेंड पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-10) की मात्रा में भारी गिरावट आई है। अरसे बाद शहर की हवा साफ हुई है। कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा 0.3 पीपीएम के स्तर पर पहुंच गई है। वहीं एक्यूआई भी 38 फीसदी पर आ गई है। पीएम 10 का सामान्य स्तर 140-150 माइक्रोग्राम प्रतिक्यूबिक मीटर रहता है, जो मौजूदा समय में 38-40 या इससे कम पहुंच गया है।
लाकडाउन ने हकीकत दिखाई :- हवा की सेहत के बारे में जानना है तो यह चार्ट देखें एक्यूआई 50 तक है तो अच्छा। 51-100 तो संतोषजनक, 101-200 सुधरी हुई, 201-300 के बाद खराब, और उसके बाद तो फिर सब खतरनाक है। यूपीपीसीबी के क्ष़ेत्रीय अधिकारी डा.राम करन बताते हैं कि लाकडाउन की वजह से सभी निर्माण बंद हैं। वाहनों का प्रयोग भी कम हो रहा है। जिससे एक्यूआई अच्छा परिणाम दे रहा है।
हर जिले में वायु प्रदूषण अपने निचले स्तर पर :- लॉकडाउन लागू होने के एक दिन पहले 24 मार्च को लखनऊ का “एयर क्वालिटी इंडेस्क” (एक्यूआइ) 204 था वह 31 मार्च को 80 के भी नीचे पहुंच गया था। ग्रेटर नोएडा का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 178 से घटकर 90 के नीचे आ गया है। कानपुर शहर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2018 में विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया था। यहां भी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स लॉकडाउन में 50 से नीचे जा चुका है। गोरखपुर में बीते एक सप्ताह का एक्यूआइ 100 से 50 माइक्रोग्राम घनमीटर के बीच सिमट गया है, जबकि लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा ज्यादातर 200 के करीब रहता था। इसी प्रकार यूपी के मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर जिले जिनका नाम वर्ष 2019 में प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में आया था जहां हवा की गुणवत्ता सबसे खराब थी, यहां भी पहली बाद एयरक्वालिटी इंडेक्स अपने न्यूनतम स्तर पर है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो