प्रदेश में स्नातक व शिक्षक क्षेत्र की 11 सीटों पर अप्रैल में चुनाव होने वाले हैं। भाजपा समेत लगभग सभी पार्टियां इस चुनाव में पूरा जोर लगाए हुए थी। सभी दलों के प्रत्याशी जोर-शोर से प्रचार कर रहे थे। नई योजनाएं बनाई जा रही थी। विधान परिषद चुनाव की बिसात पर सभी दल के मोहरे बिछे हुए थे। चालें चली जा रहीं थी। पर कोरोना वायरस के अचानक आ जाने से सारा खेल बिगड़ गया। राज्य सरकार ने कोरोना वायरस की गंभीता को देखते हुए पूरे प्रदेश में लॉकडाउन कर दिया है। यह लाकडाउन 14 अप्रैल तक रहेगा। संभावना पूरी है कि लॉकडाउन की समय सीमा को और बढ़ा दिया जाए्गा।
इससे यह तय हो गया है कि अब यह चुनाव अपने समय से नहीं हो पाएंगे। सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। सिर्फ एक सप्ताह बाकी है। हां,एक रास्ता है कि सर्वसम्मति से कोई रास्ता निकला जाए। और बिना चुनाव हुए नए सदस्य चुन लिए जाएं। पर यह दूर की बात हैं। विधान परिषद में छह सीटें शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की और पांच सीटें स्नातक निर्वाचन की हैं। इन 11 सीटों पर मौजूदा विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल इस साल छह मई को खत्म हो रहा है।
स्नातक कोटे से लखनऊ,वाराणसी, आगरा और मेरठ की विधान परिषद का चुनाव होना है। वहीं, शिक्षक कोटे से लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ, बरेली-मुरादाबाद और गोरखपुर-फैजाबाद सीटें हैं। इस बार भाजपा सहित तमाम पार्टियां शिक्षक कोटे वाली सीटों पर भी किस्मत आजमा रही हैं।
असर तो उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत 2020 के होने वाले चुनाव पर भी पड़ेगा। पर अभी चुनाव होने में करीब सात माह का समय बाकी है। यह संभावना है कि तब तक पूरा प्रदेश कोरोना वायरस के साये से मुक्त हो जाए। पर चुनाव प्रस्तावित समय अक्टूबर-नवम्बर में नहीं हो सकेंगे। क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग को अब तक मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण का काम शुरू कर देना चाहिए था पर अभी तक उसका कोई अता पता नहीं है। उपर से कोरोना वायरस की दहशत ने सब काम गड़बड़ कर दिया है। इसके साथ कुछ ब्लाक व ग्राम पंचायतों के परिसीमन कार्य भी अभी शुरू नहीं हुआ है। सूबे के 75 जिला पंचायतों, 821 क्षेत्र पंचायतों 58,75,8 ग्राम पंचायतों में अक्टूबर-नवम्बर में चुनाव कराने का कार्यक्रम था पर अब देर होना तय है। राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार बताते हैं कि बस लॉकडाउन खत्म हो जाए और हालात कुछ सामान्य हों तो मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण का काम शुरू किया जाएगा।