आयुर्वेदिक निर्देशक डॉ एसएन सिंह ने बताया कि आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार काढ़ा के प्रयोग को बढ़ाने के निर्देश दिए गए आयुष काढ़ा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। सभी प्रकार के संक्रमण बीमारियों से बचाव में सक्षम हैं। इस काढ़ा में तुलसी, सोंठ, दालचीनी, कालीमिर्च को अलग-अलग अनुपात में मिलाकर चूर्ण बनाया जाता है। इस चूर्ण को 3 से 5 ग्राम, 2 कप पानी में डालकर धीमी आंच में पकाकर उबाला जाता है। जब पानी उबल कर एक कप रह जाए तो आधा-आधा कप सुबह शाम लिया जाता है। इस काढ़े का स्वाद अगर काफी कड़वा हो तो इसमें गुड़ या चीनी मिलकर स्वाछ कुछ बेहतर कर सकते हैं। अभी तक सभी सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों से 11 हजार किलो काढ़ा चूर्ण बांटा जा चुका है।
आयुर्वेदिक निर्देशक डॉ एसएन सिंह ने बताया कि राजकीय आयुर्वैदिक कॉलेज पीलीभीत, वाराणसी और मुजफ्फरनगर को एल वन स्तर का कोविड अस्पताल बनाया गया है। वहां आयुर्वेदिक विशेषज्ञ व स्टॉफ अपनी पूरी क्षमता से ड्यूटी कर रहे हैं। पांच अन्य अस्पतालों को क्वारंटाइन संटर बनाया गया है।