आपको बता दें कि जांच में इस बात का पता चला कि मार्च 2016 में एक्सपायर हुई किट से संदिग्ध पाउडर की जांच की गई। लखनऊ लैब की रिपोर्ट के आधार पर सीएम ने विधानसभा में संदिग्ध पाउडर को विस्फोटक बता दिया था। यूपी विधानसभा में संदिग्ध पाउडर को विस्फोटक होने की पुष्टि के बाद आशंका जताई जाने लगी थी कि इस संदिग्ध पाउडर की जांच एक्सापयरी किट से हुई है। उसके बाद इसकी जांच कराई गई और इस बात की पुष्टि हो गई कि संदिग्ध पाउडर की जांच एक्सापयरी किट से हुई है।
12 जुलाई को मिला था संदिग्ध पाउडर आपको बतादें कि 12 जुलाई की सुबह उत्तर प्रदेश विधानसभा अंदर संदिग्ध पैकेट मिलने का खुलासा हुआ था, उसके बाद फॉरेंसिक जांच में विस्फोटक मिलने की पुष्टि लखनऊ के फारेंकिसक लैब ने की थी। संदिग्ध पाउडर की मात्रा 150 ग्राम बताई गई थी।
विधायक मनोज पांडे की सीट के नीचे मिला था विधानसभा में संदिग्ध पाउडर उस जगह पर मिला था। जहां तमाम पार्टियों के विधायक बैठते हैं। यह संदिग्ध विस्फोटक समाजवादी पार्टी के रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे की सीट के नीचे मिला था।
नहीं मिला कोई सुराग
यूपी विधानसभा के अंदर लगे सभी सीसीटीवी कैमरों से भी ऐसा कोई सुराग नहीं मिला था, जिससे पता चल सके कि ये संदिग्ध पाउडर विधानसभा भवन के अंदर कौन लाया था। बताया गया था कि विधानसभा के अंदर ये संदिगध पाउडर नीले रंग की पॉलीथीन में रखा गया था। विधानसभा में संदिग्ध पाउडर मिलने के बाद विधासभा की सुरक्षाऔर कड़ी कर दी गई थी। उसके बाद इसकी जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।
यूपी विधानसभा के अंदर लगे सभी सीसीटीवी कैमरों से भी ऐसा कोई सुराग नहीं मिला था, जिससे पता चल सके कि ये संदिग्ध पाउडर विधानसभा भवन के अंदर कौन लाया था। बताया गया था कि विधानसभा के अंदर ये संदिगध पाउडर नीले रंग की पॉलीथीन में रखा गया था। विधानसभा में संदिग्ध पाउडर मिलने के बाद विधासभा की सुरक्षाऔर कड़ी कर दी गई थी। उसके बाद इसकी जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।