नैमिषारण्य को नमन :- नैमिषारण्य कहिए या नीमसार यह एक प्रसिद्ध पौराणिक व प्रमुख तीर्थ स्थल है। तीरथ वर नैमिष विख्याता अति पुनीत साधक सिधि दाता।। नैमिषारण्य दुनिया का एकमात्र ऐसा पौराणिक स्थल है, जिसका वर्णन समस्त पुराणों में सामान रूप से हुआ है। इसी नैमिषारण्य की पवित्र भूमि पर हनुमानगढ़ी मंदिर है।
नैमिषारण्य के बड़े हनुमान मंदिर की कहानी :- नैमिषारण्य स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर (Naimisharanya Hanuman Garhi Temple) को बड़े हनुमान मंदिर के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीराम-रावण युद्ध के समय अहिरावण ने जब राम तथा लक्ष्मण का अपहरण किया। तब हनुमान जी पातालपुरी गए जहां उन्होंने अहिरावण का वध किया और उसके बाद कंधों पर राम और लक्ष्मण को बैठाकर यही से दक्षिण दिशा यानि लंका की ओर प्रस्थान किया। अतः यहां दक्षिणमुखी हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई। यहीं पर पाण्डवों ने महाभारत के बाद 12 वर्ष तपस्या की है। जिसे पांड़व किला कहते हैं यह मंदिर दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के नाम से प्रचलित है, यह अत्यंत दुर्लभ है। यहां पर हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा है। इनका दर्शन श्रद्ालुओं को शांति और सुकून प्रदान करता है। और उसके सभी कष्ट कट जाते हैं।
इन मंत्रों का जाप कष्ट दूर करेगा :- हनुमान जी की पूजा अभिजित मुहूर्त में करें। उत्तर-पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा रखें। हनुमान जी के साथ श्रीराम के चित्र की स्थापना करें। हनुमान जी को लाल और राम जी को पीले फूल अर्पित करें। लड्डुओं के साथ साथ तुलसी दल भी अर्पित करें। आराधना करते वक्त पहले श्री राम के मंत्र राम रामाय नमः का जाप करें फिर हनुमान जी के मंत्र ॐ हं हनुमते नमः का जाप करें।