scriptसीतापुर में ही नहीं राजधानी में भी आवारा कुत्तों का कहर एक साल में 1 लाख मामले | Lucknow has 70 thousand dogs roaming in city | Patrika News

सीतापुर में ही नहीं राजधानी में भी आवारा कुत्तों का कहर एक साल में 1 लाख मामले

locationलखनऊPublished: May 06, 2018 08:20:49 pm

Submitted by:

Dikshant Sharma

क्यों नहीं कम हो रही कुत्तों की जनसंख्या ?

Dogs on roads

Dogs on roads

लखनऊ. सीतापुर में कथिक आदमखोर कुत्तों की आफत चरम पर है। पिछले तीन दिन खैराबाद क्षेत्र के ग्रामीण डर के साए में जीने को मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में अगर राजधानी के आंकड़े देखें तो स्थितियां चिंताजनक हैं। राजधानी में करीब 70 हज़ार आवारा कुत्ते मौजूद हैं। बीते दिन इंद्रानगर क्षेत्र में कुत्ते द्वारा काटे जाने पर बवाल हो गया था। बन्दूक तक लहर गई और मामला थाने तक पहुंचा।
नहीं हो सकती कुत्तों की धड़पकड़
नगर निगम अन्य आवारा पशुओं को तो पकड़ कर कांजी हाउस या कान्हा उपवन भेज दिया जाता है लेकिन कुत्तों के मामलों में ऐसी प्रक्रियां नहीं अपनाई जा सकतीं। एनिमल राइट्स के चलते कोर्ट द्वारा प्रशासन को ऐसा करने के स्पष्ट आदेश हैं। शहर में खुले में घूम रहे लगभग 70 हजार से भी ज्यादा खतरनाक और आवारा कुत्ते राजधानी में आतंक मचाए हुए हैं। इसका प्रमाण हाल ही में हुई कुत्तों की आतंक की घटनाएं हैं। बात राजधानी की करें तो पिछले वर्ष कुत्ते काटने के 1 लाख से भी अधिक केस अस्पताल पहुंचे हैं।
1 लाख से अधिक कुत्ते काटने के मामले
एक सरकारी हॉस्पिटल के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 में लगभग 40 हज़ार ऐसे मामले आएं है जिसमें कुत्तों ने किसी इंसान को काटा है। इन आंकड़ों में प्राइवेट हस्पताल और क्लिनिक के मामले नहीं जुड़े हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल की संख्या देखते हुए ये आंकड़े 1 लाख से भी अधिक होंगे। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी इसे गलत बताते हैं।

ठन्डे बस्ते में कुत्तों का रेजिस्ट्रेशन अभियान
कुछ वर्ष पूर्व कुत्तों के रेजिस्ट्रेशन का अभियान चला था। लग रहा था मानो शहर में अब हर कुत्ता रजिस्टर्ड होगा। पर निगम का यह खयाली पुलाव था। अब तक शहर में पालतु कुत्ते के रजिस्ट्रेशन अभियान के तहत निगम के पास 3000 कुत्तों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है। जबकि अभी भी शहर में न जाने कितने घर ऐसे हैं जहां पालतू कुत्ते तो पले हैं लेकिन उनके रजिस्ट्रेशन के लिए न तो विभाग सजग है और न ही इन जानवरों के मालिक। अब ऐसे में जो आम नागरिक के साथ विदेशी पर्यटकों को मॉर्निंग या इवनिंग वाक पर निकलने से पहले डरना लाजिमी होगा।
क्यों नहीं कम हो रही कुत्तों की जनसंख्या ?
इस पर नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अरविन्द कुमार राव यह तर्क देते हैं कि कुत्तों को पकडऩे जाओ तो कई पशु प्रेमी संगठन सड़क पर उतर आते हैं और टीम के खिलाफ ही विरोध जताते हैं। उन्होंने ने बताया कि यहाँ तक कि कुछ एनजीओ द्वारा उनपर मुकदमा भी कायम किया जा चुका है। फिर भी बीते वर्ष करीब 3.5 हज़ार कुत्तों की नसबंदी की गई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो