scriptप्रसंगवश : सम्भल कर, कहीं हिंदी भाषा हिंग्लिश में न बदल जाए | Lucknow Hindi Diwas prasangvash take care Hindi language Hinglish chan | Patrika News

प्रसंगवश : सम्भल कर, कहीं हिंदी भाषा हिंग्लिश में न बदल जाए

locationलखनऊPublished: Sep 14, 2021 07:11:42 am

Hindi Diwas prasangvash 09.09.2021 हिंदी भाषा के सही ज्ञान न होने की वजह से लोग अपनी संस्कृति, सभ्यता और साहित्य से होते जा रहे हैं दूर

प्रसंगवश : सम्भल कर, कहीं हिंदी भाषा हिंग्लिश में न बदल जाए

प्रसंगवश : सम्भल कर, कहीं हिंदी भाषा हिंग्लिश में न बदल जाए

Hindi Diwas ….. 14 सितंबर दूर नहीं है। इस दिन यूपी सहित पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। उस प्रदेश से जिसकी जनसंख्या के 90 फीसद यानी करीब 19 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है। उस प्रदेश में यूपी बोर्ड की 2020—21 की परीक्षा में बारहवीं और दसवीं के कुल करीब आठ लाख छात्र फेल हो गए थे। इस वर्ष रिजल्ट कुछ बेहतर रहा क्योंकि परीक्षा नहीं देनी पड़ी। ताज्जुब है। हिंदी के सरल शब्द न लिख पाने की वजह से छात्र हिंग्लिश को अपना रहे हैं। यह हिंदी और इंग्लिश का मिलाजुला स्वरुप है। आपसी बोलचाल में भी हिंग्लिश प्रभावी है। और सोशल मीडिया पर हिंग्लिश (Hinglish) के बिना काम ही नहीं चलेगा। यूपी के हिंदी भाषी लोगों के लिए हिंग्लिश आसान है। इतनी समृद्ध भाषा कोश होने के बावजूद हिंदी के कई शब्द चलन से गुम होते जा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो देश में कुल भाषाओं की संख्या 418 है, जिनमें 407 जीवित भाषाएं हैं, जबकि 11 लुप्त हो चुकी हैं। दुनिया में करीब 66 करोड़ लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। हिंदी का लुप्त होना तो मुश्किल है पर हिंग्लिश हो जाना बेहद आसान है।
हिंदी की जननी प्रदेश यूपी के लिए हिंदी दिवस मनाना जरूरी है, ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिंदी उनकी राजभाषा है। हिंदी दिवस मनाने के पीछे मंशा यही है कि जब तक वे इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं होगा। हैरान होने वाली बात यह है कि भारत के पास अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का ऐलान किया था। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया, तब से हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है।
अपनी विशाल जनसंख्या के कमाल की वजह से इंटरनेट हिंदी के अनुसार चल रहा है। हिंदी का इस्तेमाल वेब एड्रेस बनाने में किया जाता है। हर साल हिंदी के कुछ शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी शामिल होते हैं। पर अधिकांश स्कूलों में हिंदी को गंभीरता से बहुत कम लिया जाता है। बच्चे हिंदी और इंग्लिश का मिलजुला वर्जन बोलते और लिखते हैं। अधिकांश हिंदी टीचर भी इसमें पीछे नहीं है। भाषा के सही ज्ञान न होने की वजह से लोग अपनी संस्कृति, सभ्यता और सहित्य से दूर होते जा रहे हैं। कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे शब्दों को रिकॉल नहीं कर पा रहे हैं। सवाल है कि, क्या आने वाले दिनों में हिंदी भाषा हिंग्लिश में तो नहीं बदल जाएगी। (संजय कुमार श्रीवास्तव)
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो