इंसानी बिरादरी द्वारा संचालित किये जा रहे ‘जीने का अधिकार अभियान’ के तहत सरकारी स्कूल में शिक्षण की स्थिति और मिडडे मील जैसे मामलों को लेकर दबाव बनाए का सिलसिला चला. शिक्षा का अधिकार नामांकन से शुरू होता है लेकिन उन बच्चों के लिए यह शुरूआत थमी पड़ी थी जिनका आधार कार्ड नहीं है और अगर है तो उसमें उनका नाम या उनकी उम्र गलत लिखी हुई है. गरीब अभिभावकों को परिवार का पेट भरने की व्यवस्था करने से ही फुर्सत नहीं, आधार के लिए यहां से वहां चक्कर कहां से लगाएं. सरकारी प्रचार जो भी हो लेकिन गरीबों के लिए उसे हासिल करना या उसमें लिखी गलतियां सुधरवा लेना किसी उपलब्धि से कम नहीं.
इंसानी बिरादरी के खिदमतगार और ‘जीने का अधिकार अभियान’ के संयोजक वीरेन्द्र कुमार गुप्ता ने बताया कि नामांकन के लिए चल रही कोशिशों के दौरान अचानक सामाजिक कार्यकर्ता नासिर अली से जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा गुज़री 13 जुलाई को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि मिली. इस पत्र में सरकारी स्कूलों के प्रधान अध्यापकों को यह सूचना पहुंचाने को कहा गया था कि मलिन बस्तियों के बच्चों के अभिभावकों से स्कूल में दाखिले के प्रार्थनापत्र के अलावा दूसरा कोई अभिलेख नहीं मांगा जाएगा. यह पत्र दिखाए जाने के बाद ही प्रधान अध्यापिका के तेवर ढीले पड़े. इस तरह गाजीपुर के कुल सात बच्चों का नामांकन हो सका और इस तरह उनके लिए शिक्षा के अधिकार का दरवाजा खुला.
उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रधान अध्यापिका ने यह आरोप भी लगाया कि हमने बिना आधार के दाखिला दिलाने की जिद ठान रखी है जबकि हम तो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन किये जाने पर जोर बना रहे हैं कि आधार के नाम पर किसी को राशन और शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का जिक्र किये जाने पर उनका टका सा जवाब था- दिया होगा फैसला, तो क्या. इससे पता चलता है कि सरकारी तंत्र को देश की सबसे बड़ी अदालत की परवाह नहीं .उन्होंने बताया कि जीने का अधिकार अभियान गाजीपुर के अलावा बस्तौली, समुद्दीपुर, टीकापुरवा, लवकुश नगर और प्रतापनगर की मलिन बस्तियों में उन बच्चों की पहचान करेगा जो किसी कारण स्कूल से बाहर हैं. गरीब अभिभावकों के बीच शिक्षा की जरूरत का सवाल ले जाते हुए उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार किया जाएगा. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद आधार के आधार पर राशन काटे जाने का सवाल भी उठाया जाएगा. जीने के सवाल से जुड़े तमाम मसलों से जूझने के लिए अभियान की स्थानीय समितियां गठित की जायेंगी.