पीएम मोदी का सिद्धार्थनगर व वाराणसी दौरा : मेडिकल कॉलेजों के बहाने पूर्वांचल को साधने की रणनीति खादी महोत्सव से ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा :- खादी महोत्सव से ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा मिल रहा है। लखनऊ की चिकनकारी, भदोही की कालीन, वाराणसी का सिल्क, गोरखपुर का टेराकोटा, फिरोजाबाद का ग्लास, बंदायू की जरी जरदोजी जैसे उत्पादों की लोगों ने जमकर खरीदारी की। इसके साथ ही जूट, घास और बांस आदि के ईको फ्रेंडली उत्पाद लोगों को लुभा रहे हैं।
सबको लुभा रहा बॉस से बना हार :- बाराबंकी के डिवाइन लाइफ हर्बल स्टाल पर बॉस से बना हार, इयररिंग, कप, स्पीकर, लैंप और अन्य सजावट का सामान की खरीदारी लोग जमकर कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के स्टॉल पर 80 रुपए से लेकर 7000 रुपए तक की घास की चटाई उपलब्ध है।
चीन के उत्पाद नहीं मिट्टी के उत्पाद खरीद रहे लोग :- झांसी से आए भागीरथ प्रजापति ने बताया कि आदर्श माटी कला सहकारी समिति स्टॉल पर मिट्टी से बने हुए सभी प्रकार के बर्तनों की प्रदर्शनी लगाई है। यहां पर मिट्टी के गिलास, प्रेशर कुकर और दाल हांडी की मांग काफी है। भगीरथ कहते हैं की हमारे आसन से लेकर 7,000 रुपए की पास 150 रुपए के मिट्टी के कप से लेकर 1,150 रुपए का प्रेशर कुकर बाम, फ्लोटिंग कैंडल और लिपबाम जैसे उत्पाद शामिल हैं। इनकी कीमत 600 रुपए से 1400 रुपए के बीच है। भागीरथ प्रजापति ने बताया कि माटी कला बोर्ड के जरिए हम लोगों को काफी मदद मिली है। पीएम और सीएम की अपील के बाद कुम्हारों की जिंदगी आज कई साल बाद खुशियों से रोशन हुई हैं। आज चीन के उत्पादों की अपेक्षा लोग दीवाली पर मिट्टी के बने उत्पादों को खरीद रहे हैं।
जूट ज्वैलरी ने जीता सबका दिल :- जूट आर्टिशंस गिल्ड के स्टाल पर जूट की ज्वेलरी आकर्षण का केंद्र है। यहां पर जूट से ही बने इयररिंग, गले का हार, मांग टीका का सेट समेत ऐसी तमाम चीजें मिल सकती है। इसके बारे में सृष्टि बताती हैं कि इन सभी उत्पादों को गांव की महिलाओं ने तैयार किया है। उन्हों कहा कि सीएम की स्वर्णिम योजनाओं का ही नतीजा है कि आज ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।